वनोपज खरीदी, प्रोसेसिंग और सेल में अव्वल प्रदेश बना छत्तीसगढ़, केंद्र से मिले 10 नेशनल अवॉर्ड

देश में समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा लघु वनोपज खरीदी करने वाले छत्तीसगढ़ ने 10 नेशनल अवार्ड जीते हैं, राज्य को वनोपज खरीदी, प्रसंस्करण और विपणन के लिए मिला है पुरुस्कार, महुआ से सेनेटाइजर और छत्तीसगढ़ हर्बल की ऑनलाइन बिक्री की तारीफ

Updated: Aug 06, 2021, 01:39 PM IST

Photo Courtesy:  chhattisgarhaaj
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रायपुर। छत्तीसगढ़ को लघुवनोपज के उत्पादन औऱ इनोवेटिव तरीके से उसकी प्रोसेसिंग औऱ सेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए एक साथ 10 नेशनल अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है। इन अवार्डस में एक अवार्ड महुआ से सेनेटाइजर बनाने के लिए भी मिला। महुआ से सैनेटाइजर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के साथ महाराष्ट्र को भी सम्मानित किया गया है।

 छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश में वन धन योजना और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के कार्य में राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 8 कैटेगरी में पहला इनाम मिला है। वहीं साथ में नवाचार और नव-उत्पाद के लिए भी प्रदेश ने 2 पुरस्कार जीते हैं। शुक्रवार को एक आनलाइन आयोजन में जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छत्तीसगढ़ को सम्मानित किया। इनोवेटिव प्रोडक्ट के तहत छत्तीसगढ़ में महुआ से सेनेटाइजर और इमली से इमली चस्का के उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया गया।

52 वनोपज की होती है समर्थन मूल्य पर खरीदी

छत्तीसगढ़ में 52 प्रकार की लघु वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। महाराष्ट्र में 21 वनोपजों को MSP पर खरीदा जाता है, इस केटैगरी में महाराष्ट्र को दूसरा स्थान मिला है। अधिकतम मूल्य की लघु वनोपज की खरीदी वर्ग में छत्तीसगढ़ को पहला पुरस्कार दिया गया है। प्रदेश में इसके तहत 180.51 करोड़ की वनोपजों खरीदी गई है। वहीं इसी वर्ग में आंध्र प्रदेश को दूसरा स्थान मिला है। वहां 4.51 करोड़ रूपए मूल्य की वनोपजों की खरीदी हुई है।

दरअसल केंद्र और राज्य सरकार के बजट से अधिकतम मूल्य की लघु वनोपजों के खरीदी वर्ग में छत्तीसगढ़ को 1173 करोड़ की वनोपज खरीदी के लिए पहला स्थान और 30.32 करोड़ रूपए की खरीदी करने वाले ओडिशा को दूसरा पुरुस्कार दिया गया है।

साल 2020-21 तक केंद्र के बजट से अधिकतम उपयोगिता के लिए छत्तीसगढ़ और ओडिशा को सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ को 127.09 करोड़ रु के उपयोग के लिए पहला और ओडिशा को 30.32 करोड़ रु के उपयोग पर दूसरा स्थान मिला है। वहीं वन धन योजना के अंतर्गत अधिकतम सर्वेक्षण करने की कैटेगरी में छत्तीसगढ़ को पहला जबकि नागालैंड को दूसरा स्थान मिला है।

7 से बढ़ा कर 52 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी

छत्तीसगढ़ का 44 % से ज्यादा हिस्सा वनक्षेत्र है जहां इसके आसपास रहने वाले वनवासियों का जीवन इन्ही के संग्रहण से चलता है। भूपेश बघेल के मार्ग दर्शन में छत्तीसगढ़ में 7 वनोपजों से बढ़ाकर 52 वनोपजों का संग्रह समर्थन मूल्य पर किया जाता है।

6 लाख से ज्यादा वनवासियों को फायदा

समर्थन मूल्य पर वनोपज की खरीदी से 6 लाख से ज्यादो वनोपज संग्राहक लाभान्वित हो रहे हैं। दो सालों से वनोपज खरीदी में देश में छत्तीसगढ टाप पर है। वर्तमान में प्रदेश में 4,785 महिला स्व-सहायता समूहों के जरिए इनकी खरीदी की जा रही है। वहीं वनोपज की संख्या और MSP में वृद्धि के  बाद से 13 लाख से ज्यादा गरीब आदिवासी लघु वनोपज संग्राहकों को फायदा मिल रहा है। उन्हें सालाना 501.70 करोड़ रू अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

50 वनधन विकास केंद्रों में हो रही प्रोसेसिंग
छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज की प्रायमरी प्रोसेसिंग के लिए 139 वनधन विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसका फायदा करीब 17 हजार 424 हितग्राहियों को हो रहा है। 139 वनधन विकास केंद्रों में से 50 वनधन विकास केंद्रों में लघु वनोपज के हर्बल प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग होती है। इन प्रोडक्ट्स को अमेजन जैसे आनलाइन प्लेटफार्म सेल किया जाता है। अब छत्तीसगढ़ के हर्बल्स प्रोडक्ट्स ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। 

नेशनल हुआ छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड ,10 करोड़ की सेल का लक्ष्य  

छत्तीसगढ़ हर्बल्स के तौर पर अब यहां के उत्पादों की बिक्री पूरे देश में की जा रही है। साल 2021-22 में इसक लिए 10 करोड रू की सेल का टारगेट रखा गय है। इन हर्बल प्रोडक्ट्स की प्रोसेसिंग से में लगे महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के 5 हजार मेंबर्स को लाभ होने की उम्मीद है।