MP : गेहूं बेचने 7 दिनों से लाइन में लगे किसान की मौत

कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ ने साधा सीएम शिवराज सिंह पर निशाना, सरकार की नीतियां मौत की जिम्‍मेदार

Publish: May 27, 2020, 03:22 AM IST

Photo courtesy : camera 2
Photo courtesy : camera 2

मध्य प्रदेश के आगर-मालवा के तनोडिया स्थित खरीदी केंद्र में पिछले सात दिनों से अपनी उपज बेचने आए एक किसान प्रेम सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। खरीदी केंद्र में सरकारी सिस्टम की लापरवाही से किसान की मौत के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को आड़े हाथों लिया है।

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मलवासा गांव के रहने वाले किसान प्रेम सिंह को मोबाइल पर मैसेज आया कि वो 19 मई को अपनी फसल लेकर झलारा स्थित खरीदी केंद्र पहुंचे। लेकिन बदइंतजामी की हद तो तब हो गई जब 2 दिन इंतजार करने के बाद उन्‍हें तनोडिया स्थित खरीदी केंद्र जाने को कहा गया। वहां भी किसान को 4 दिन इंतजार करना पड़ा। वे गर्मी से बेहद परेशान हो चुके थे। जब सोमवार 25 मई को आखिरकार उसकी उपज की तुलाई हो रही थी, तभी प्रेम सिंह को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई।

 

इस लापरवाही पर कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ ने अपने ट्वीट कर कहा है कि सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं ख़रीदी के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। प्रदेश के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिये काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के उपार्जन केंद्रों में बदहाली का आलम है। खरीदी केंद्रों में बारदानों की कमी है, तो कहीं तुलाई की व्यवस्था नहीं है। प्रदेश में किसानों की सुध लेने वाला नहीं है। कमलनाथ ने सरकार से किसान के परिवार की हरसंभव मदद करने औऱ किसान की मौत के ज़िम्मेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

किसान मौत के लिए शिवराज सरकार जिम्मेदार : सचिन यादव

मध्यप्रदेश के आगर-मालवा में हुए किसान प्रेम सिंह की मौत के लिए पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने शिवराज सरकार को जिम्मेदार बताया है। बीजेपी सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यादव ने कहा कि सरकार उपार्जन केंद्रों पर फैल रही अव्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दे रही है। किसान प्रेम सिंह के मौत के लिए शिवराज सरकार जिम्मेदार है। शिवराज सरकार की बड़े बड़े दावों की पोल खुल गई है, उपार्जन केंद्रों पर 5-6 किलोमीटर तक ट्रैक्टर की लंबी लाइनें लगी हुई है, छांव की उचित व्यवस्था नहीं है, बारदाने-तुलाई काटों की भारी कमी है। इसी का परिणाम है कि हमारे एक किसान साथी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।