मक्का की बर्बादी होने पर खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह का अटपटा बयान, कर रहे हैं शिकायत का इंतजार

कॉर्न सिटी छिंदवाड़ा में पांच साल से रखा हुआ करोड़ों का मक्का सड़ गया, लेकिन मंत्री बिसाहूलाल सिंह का कहना है कि वे अब तक शिकायत का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें मक्का की बर्बादी की शिकायत नहीं मिली है

Updated: Aug 02, 2021, 09:33 AM IST

भोपाल। छिंदवाड़ा वेयरहाउस में पांच सालों तक पड़े पड़े बर्बाद हो जाने वाले मक्का के बहुचर्चित मामले के संबंध में शिवराज सरकार के खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने अटपटा बयान दिया है। खाद्य मंत्री का कहना है कि वे अब तक इस मामले में शिकायत का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। 

एक हिंदी अखबार के मुताबिक खाद्य मंत्री से सतना में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया कर्मियों ने छिंदवाड़ा में पड़े पड़े तीन करोड़ से अधिक के मूल्य के मक्के का सड़ जाने के मामले से जुड़ा सवाल किया था। सवालों के जवाब में मंत्री ने कहा कि मक्का को चार महीने में खराब हो जाता है। लेकिन अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई ज़रूर करेंगे।

मंत्री की ओर से आए ऐसे बयान के बाद बिसाहूलाल सिंह की आलोचना शुरू हो गई है। सवाल यही उठता है कि एक ऐसा मामला जो कि इस समय प्रदेश का सबसे चर्चित मसला है। ऐसे मामले में भी जांच करने के बजाय मंत्री शिकायत का इंतजार कर रहे हैं। 

हालांकि ऐसा भी नहीं है कि मक्का के पड़े पड़े सड़ने की शिकायत कभी नहीं की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वेयरहाउस कॉर्पोरेशन के अधिकारी विजय आंबेडकर कुल सात बार यह शिकायत भोपाल में कर चुके थे। लेकिन इन शिकायतों पर किसी ने भी गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझा। 

2016-17 में समर्थन मूल्य पर करीब 22 लाख क्विंटल मक्का 1350 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। इसका वितरण गरीबों में किया जाना था। लेकिन कॉर्न सिटी के नाम से ख्याति प्राप्त छिंदवाड़ा के वेयरहाउस में रखा हुआ 1628 टन मक्का सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ गया। बर्बाद हुए इस मक्के की कीमत करीब साढ़े तीन करोड़ के आसपास थी। अब भोपाल से खाद्य विभाग की टीम इस सड़े हुए मक्के की जांच करने वाली है, जिसका बाद यह तय किया जाएगा कि आखिर इस मक्के का इस्तेमाल जानवरों तक के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है या नहीं?