खोपरा का MSP बढ़ा, 2022 के लिए मिलिंग खोपरा 10,590 रु प्रति क्विंटल और गरी-गोला 11,000 रु किया गया

नारियल उत्पादक किसानों की बल्ले बल्ले, सरकार ने मिलिंग खोपरे की MSP 255 रुपये और खोपरा बॉल का MSP 400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाने का किया फैसला

Updated: Dec 23, 2021, 07:03 AM IST

Photo Courtesy: mint
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दिल्ली। भारत सरकार ने खोपरा उत्पादकों को नए साल के पहले तोहफा दिया है। सरकार ने  खोपरा याने नारियल पर MSP बढ़ाने का ऐलान किया है। इस साल 2022 के लिए बॉल खोपरे का समर्थन मूल्य 11,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, पिछले साल 2021 में यह 10,600 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं मिलिंग खोपरा की MSP 10,590 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, यह 2021 के सीजन में 10,335 रुपये प्रति क्विंटल था। सरकार ने मिलिंग खोपरे पर 255 रुपये और खोपरा बॉल पर 400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला किया है। भारत खोपरा उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है। यहां के नारियत तेल की दुनिया भर में डिमांड है।

इसे किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक हुई। जिसमें सीजन 2022 के लिए खोपरा उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई।

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यह मूल्य वृद्धि कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज (CACP) की सिफारिशों के आधार पर की गई है। CACP प्रोडक्शन की लागत, घरेलू और वैश्विक बाजार में नारियल तेल कीमतों के रुख, खोपरा और नारियल तेल की कुल मांग और आपूर्ति, उपभोक्ताओं पर MSP बढ़ोतरी से पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर समर्थन मूल्य बढ़ाने की सिफारिश करता है।

वहीं इस बारे में कृषि मंत्रालय का कहना है कि नारियल गरी मिलिंग के लिए 51.85 प्रतिशत और नारियल गरी बॉल के लिए 57.73 प्रतिशत की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर वापसी सुनिश्चित करने के लिए है। 2022 सीजन में नारियल गरी पर MSP में वृद्धि, MSP को बजट 2018-19 में घोषित अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है।

सरकार की ओर से साफ किया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड नारियल उत्पादक राज्यों में MSP पर समर्थन मूल्य का संचालन करने के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों के तौर पर काम करते रहेंगे।