पराली जलाने को लेकर प्रशासन और किसान संघ आमने सामने, कहा- FIR हुई तो कलेक्ट्रेट लेकर आएंगे पराली
पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज करने के जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के आदेश से किसानों में आक्रोश बढ़ गया है।
जबलपुर। देश में सर्वाधिक वन आवरण होने के बाद भी मध्य प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के लिए किसानों को दोषी ठहराया जा रहा है। हालिया रिपोर्ट में पता चला कि पराली जलाने में मध्य प्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है। इसके बाद जबलपुर बार एसोसिएशन ने पराली जलाने से जुड़े केस नहीं लेने का फैसला लिया। अब इसे लेकर किसान संगठन और प्रशासन आमने-सामने हैं।
दरअसल, जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसे लेकर किसानों में आक्रोश बढ़ गया है। भारतीय किसान संघ ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय किसान संघ के जबलपुर प्रांत महामंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि यदि पराली जलाने का केस किसानों पर दर्ज हुआ तो वे पराली लेकर कलेक्टर कार्यालय जाएंगे।
संघ ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि पराली जलाने के मामलों में किसानों पर केस दर्ज नहीं किया जा सकता। एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारों को पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वैकल्पिक उपाय उपलब्ध कराने चाहिए।
बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में 15 सितंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच लगभग 27 हजार 319 मामले पराली जलाने के सामने आए हैं। इसमें बताया गया है कि सबसे ज्यादा पराली के मामले मध्य प्रदेश के श्योपुर में रिकॉर्ड किए गए हैं। MP में 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 के बीच पराली जलाने की जो घटनाएं सामने आईं, उनमें सर्वाधिक 489 श्योपुर में दर्ज की गईं। जबलपुर में 275 घटनाएं हुईं तो ग्वालियर, नर्मदापुरम्, सतना, दतिया जैसे जिलों में लगभग 150-150 घटनाएं दर्ज की गईं। यह आंकड़ें पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान प्रदेशों से भी अधिक हैं।
मध्य प्रदेश में पराली जलाने पर पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत कार्रवाई की जाती है। इस पर विभिन्न कानूनों के तहत अपराध दर्ज किया जा सकता है, जैसे वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 जिसके तहत पलारी जलाना वायु प्रदूषण फैलाने का अपराध माना जाता है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना या कारावास हो सकता है। वहीं, बार एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि देशहित में पराली जलाने पर प्रतिबंध का समर्थन करते हुए इससे जुड़े अपराधियों की पैरवी नहीं की जाएगी।