एग्रीकल्चर की पढ़ाई के प्रति बढ़ा युवाओं का रुझान, भोपाल के कॉलेज ने सीट बढ़ोत्तरी के लिए भेजा UGC को प्रस्ताव

इंजीनियरिंग और मेडिकल की बजाय भोपाल में अब छात्रों की पसंद बना Bsc Agriculture, राज्य के 28 कॉलेजों में हो रही है पढ़ाई

Updated: Jul 14, 2021, 05:17 AM IST

भोपाल। कभी इंजीनियर पैदा करने का हब बना भोपाल इन दिनों एंग्रीकल्चर साइंस का रुख कर रहा है। इंजीनियरिंग के कॉलेज जहां मंदी की मार झेल रहे हैं, वहीं बीएससी एग्रीकल्चर में एडमिशन की होड़ चल रही है। प्राइवेट कॉलेजों में बीएससी एग्रीकल्चर की सीटें सबसे तेज़ी से भर रही हैं और  कई कॉलेजों ने तो यूजीसी को संबंधित सब्जेक्ट की सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव भी भेज दिया है।

एग्रीकल्चर में डिग्री कोर्स के प्रति छात्रों में किस कदर दिलचस्पी बढ़ रही है, उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भोपाल का LNCT कॉलेज, ग्रेजुएशन में एग्रीकल्चर कोर्स के लिए 100 सीटें बढ़ाने पर विचार कर रहा है। कॉलेज ने इसके लिए यूजीसी को प्रस्ताव भेजा है। कॉलेज के एडमिशन ऑफिसर आनंद मिश्रा ने हम समवेत से बातचीत में बताया कि 'पिछले दो तीन सालों में एग्रीकल्चर कोर्स के प्रति छात्रों में काफी दिलचस्पी देखने को मिली है। एडमिशन ऑफिसर ने कहा कि हमने तीन साल पहले ग्रेजुएशन में इस कोर्स की शुरूआत की थी, तब संस्थान में एग्रीकल्चर कोर्स की सीटें रिक्त रह जाती थीं। लेकिन आज आलम यह है कि न सिर्फ इस कोर्स में सीटें भर रही हैं बल्कि हमें सीटें बढ़ाने पर विचार करना पड़ रहा है।'  

शहर के एक और प्रमुख संस्थान, IES यूनिवर्सिटी की डायरेक्टर मनीषा का कहना है कि 'इंजीनियरिंग की तुलना में एग्रीकल्चर कोर्स करनेवाले युवाओं की सैलरी स्केल में भी कोई फर्क नहीं है। यही वजह है कि अब ना सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी युवाओं में भी अब एग्रीकल्चर कोर्स के प्रति बहुत दिलचस्पी दिखाई दे रही है। मनीषा ने कहा कि उनके संस्थान में न सिर्फ भोपाल या ग्रामीण क्षेत्रों से बल्कि दूसरे राज्यों के भी छात्रों ने दाखिला लिया है।' 

IES University की डायरेक्टर मनीषा ने बताया कि पहली बार सुनने में यही लगता है कि एग्रीकल्चर कोर्स के प्रति ग्रामीण युवाओं का रुझान हो सकता है लेकिन शहरी क्षेत्र के युवा भी इसमें अवसर देख रहे हैं। क्योंकि इस कोर्स को करने के बाद छात्रों के पास फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर आदि में काम करने के कई विकल्प खुल जाते हैं। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर कोर्स करने वाले छात्र इस बात से भली भांति परिचित हैं कि यह कोर्स न सिर्फ प्राइवेट सेक्टर बल्कि सरकारी नौकरियों के भी दरवाज़े खोलता है।

मनीषा ने कहा कि उनके संस्थान में न सिर्फ भोपाल या ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र बल्कि दूसरे राज्यों के छात्र भी दाखिला ले रहे हैं। राजधानी भोपाल स्थित एक और संस्थान, सर्वपल्ली राधाकृष्णन विश्वविद्यालय की महिला कर्मचारी ने भी बताया कि एग्रीकल्चर कोर्स में छात्रों की रुचि बढ़ी है। उनके संस्थान में ज्यादातर युवा ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे हैं और एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने का उनका मकसद आधुनिक खेती के तौर तरीकों को सीखना ही लगता है। 

एग्रीकल्चर कोर्स के प्रति छात्रों में दिलचस्पी सिर्फ भोपाल या उसके आस पास के इलाकों में ही नहीं बढ़ी है। भोपाल में रहने वाली कनक सक्सेना इंदौर एग्रीकल्चर कॉलेज में अध्यापन का कार्य करती हैं। उन्होंने बताया कि उनके संस्थान में न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं। उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय से भी कई युवाओं ने उनके संस्थान में दाखिला लिया है। कनक सक्सेना ने एग्रीकल्चर के कोर्स पर अपनी राय साझा करते हुए कहा कि यह सच है कि इस कोर्स में ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों की ज़्यादा रुचि ज्यादा है, लेकिन अब शहर से आने वाले छात्रों की तादाद भी बढ़ रही है। कनक सक्सेना इसमें रिसर्च और ऑर्गेनिक फार्मिंग के विकल्प का अवसर भी देख रही हैं। इसके साथ ही छात्रों को नाबार्ड जैसे संस्थान में भी काम करने का मौका मिलता है।  

छात्र भी इस कोर्स को लेकर आशान्वित दिख रहे हैं। आस्था मिश्रा भोपाल की रहने वाली हैं और इस समय इंदौर एग्रीकल्चर कॉलेज में बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रही हैं। फाइनल इयर में पढ़ रही आस्था ने बताया कि बारहवीं में पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने एग्रीकल्चर का कोर्स करने की ठान ली थी। आस्था ने बताया कि इस कोर्स को करने के बाद उनका लक्ष्य सरकारी क्षेत्र में जाना है। आस्था की नज़रें यूपीएससी और नाबार्ड में काम करने की तरफ है।

बीएससी एग्रीकल्चर डिग्री के बाद एग्रीकल्चर टेक्नीशियन से लेकर साइंटिस्ट, सीड टेक्नॉलजिस्ट, प्लांट ब्रीडर, मार्केटिंग ऑफिसर और एग्रीकल्चर ऑफिसर तक जॉब के अनेक विकल्प हैं। जिसमें हर साल करीब 15 लाख तक के पैकेज की नौकरी मिल सकती है। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के प्रति बढ़ते रुझान और कॉरपोरेट सेक्टर की खेती और संबंधित क्षेत्रों में बढ़ती दिलचस्पी ने युवाओं का रुख इस पढ़ाई के प्रति तेज़ किया है।