कोरोना काल में बढ़े आंखों के गंभीर रोग, मामूली परेशानियों की अनदेखी से बढ़ी मुश्किलें
कोरोना काल में लोग आंखों की नियमित जांच से करवाने से कतरा रहे हैं, वहीं स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों की छोटी परेशानियां ले रही गंभीर बीमारियों का रूप

आंखों की बीमारियां गुपचुप तरीके से आती हैं, ये ग्लूकोमा या मधुमेह रेटिनोपैथी से शुरु होकर आंखों की रोशनी तक छीन सकती हैं। देश के जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर महिपाल एस सचदेव का कहना है कि इनदिनों नेत्र ओपीडी में अब मोतियाबिंद के एडवांस स्टेज की वजह से आखों की रोशनी खोने वाले और आंख के अंदर गंभीर रक्तस्राव के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हो रही है। नुकसान यह है कि मरीजों के केस काम्प्लीकेटेड होते जा रहे हैं। मरीजों को रेड-आई, धुंधली दृष्टि, आंखों में दर्द और संवेदनशीलता जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। डाक्टर का कहना है कि ऐसे में घरेलू उपचार या सेल्फ मेडीकेशन खतरनाक हो सकता है।
कोरोना महामारी की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ा है। वर्क फ्राम होम के कारण लोग पहले की तुलना में स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं। दिन में लगभग 12-16 घंटे आन स्क्रीन रहना खतरों का प्रमुख कारण है। जिससे मरीजों की नींद भी नहीं पूरी होती और परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
डॉक्टर महिपाल एस सचदेव ने सलाह दी है कि लोगों को आंखों की देखभाल सावधानी से करनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में आंखों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाए। अस्पताल में कोरोना और अन्य मरीजों को अलग-अलग रखना चाहिए। मरीजों के इलाज में देरी न करें।
कोविड 19 की चपेट में आए मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है। लोगों को धुंधलेपन और दृष्टि जाने तक की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना इलाज के दौरान लापरवाही से आंखों की परेशानियां बढ़ी हैं। डाइबिटिज किडनी और अन्य गंभीर रोगियों में यह समस्या औऱ भयावह पाई गई है। कोरोना मुक्त होने के बाद मरीजों को धुंधला दिखने की शिकायत के कई मामले आए हैं।