पेपर कप में चाय पीने से हो सकता है कैंसर, IIT खड़गपुर के रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

आईआईटी खड़गपुर की रिसर्च में खुलासा हुआ कि पेपर कप में डाली गई गर्म चाय या कॉफी सिर्फ 15 मिनट में 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण छोड़ देती है। रोजाना इनका सेवन करने से कैंसर, हार्मोन असंतुलन और इम्यून सिस्टम कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है।

Publish: Nov 04, 2025, 09:20 AM IST

भोपाल। अगर आप हर दिन डिस्पोजेबल पेपर कप में चाय या कॉफी पीते हैं तो यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर में जहर घोल सकती है। आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने इसे लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया है कि पेपर कप में डाले गए गर्म पेय महज 15 मिनट में कप की अंदरूनी परत से करीब 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण छोड़ देते हैं। ये सूक्ष्म कण शरीर में पहुंचकर न केवल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं बल्कि हार्मोनल और नर्वस सिस्टम पर भी असर डालते हैं।

रिसर्च के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दिन में तीन बार चाय या कॉफी पेपर कप में पीता है तो वह रोजाना लगभग 75,000 सूक्ष्म प्लास्टिक कण निगल रहा है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते लेकिन शरीर की कोशिकाओं को गहराई से नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक हेल्थ रिस्क नहीं बल्कि एक साइलेंट टॉक्सिन है जो धीरे-धीरे शरीर में जमता चला जाता है।

आईआईटी खड़गपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा गोयल और उनके सहयोगी वेद प्रकाश रंजन तथा अनुजा जोसेफ की टीम ने यह अध्ययन किया। अध्ययन में बताया गया कि पेपर कप की भीतरी परत पर एक पतली हाइड्रोफोबिक फिल्म चढ़ाई जाती है ताकि तरल पदार्थ कप से रिसे नहीं। यह फिल्म पॉलीइथिलीन या अन्य को-पॉलिमर से बनी होती है। जब इसमें 85-90 डिग्री सेल्सियस तापमान वाला गर्म तरल डाला जाता है तो 15 मिनट के भीतर यह फिल्म टूटने लगती है और माइक्रोप्लास्टिक कणों में बदलकर चाय या कॉफी में मिल जाती है।

शोध में यह भी पाया गया कि हर 100 मिलीलीटर गर्म तरल में औसतन 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण घुल जाते हैं। ये कण शरीर में प्रवेश करने के बाद पैलेडियम, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातुओं को साथ लेकर चलते हैं। लंबे समय तक इनका सेवन करने से शरीर में धातुएं जमा होने लगती हैं। जिसकी वजह से हार्मोन असंतुलन, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं।

आईआईटी खड़गपुर की रिपोर्ट सामने आने के बाद भोपाल स्वास्थ्य विभाग ने भी इसे लेकर चेतावनी जारी की है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने नागरिकों से अपील की कि वे पेपर कप या प्लास्टिक लाइनिंग वाले डिस्पोजेबल कप में गर्म पेय पदार्थों का सेवन तुरंत बंद करें। उन्होंने कहा कि लोग अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा के लिए घर से अपना कप लेकर निकलें और मिट्टी (कुल्हड़), स्टील या कांच के कप का इस्तेमाल करें।

डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि पेपर कप का इस्तेमाल सिर्फ सुविधा के लिए नहीं बल्कि एक गंभीर लापरवाही के रूप में देखा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके परिणाम दीर्घकालिक और खतरनाक हैं। इस आदत को बदलना न केवल व्यक्तिगत सेहत के लिए बल्कि समाज और पर्यावरण की भलाई के लिए भी जरूरी है।