जानें कि कब ख़त्म होना है कोरोना मरीजों का होम आइसोलेशन

स्वास्थ्य विभाग की नई गाइडलाइन के अनुसार कोविड 19 मरीजों का होम आइसोलेशन कोरोना लक्षण आने के 10 दिनों बाद खत्म किया जा सकता है, वहीं लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आना भी मरीज के संक्रमण मुक्त होने का साफ संकेत है

Updated: May 13, 2021, 12:23 PM IST

Photo Courtesy: She the people
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दिल्ली/ भोपाल।  देश में कोरोना महामारी अपने चरम पर है, रोजाना लगभग 4 लाख लोगों में संक्रमण की पुष्टि दर्ज की जा रही है। लाखों मरीज देश के विभिन्न अस्पतालों में मौत से जूझ रहे हैं। आलम ये हैं कि देश में ना तो अब अस्पतालों में जगह है, ना ही पर्याप्त बेड, ऑक्सीजन और वेटिंलेटर हैं। ऐसे में कोविड पॉजिटिव होनेवाले मामूली लक्षण के मरीज़ों को सरकार की तरफ से होम आइसोलेशन में रखने का विकल्प सुझाया जा रहा है।

ज्यादातर सामान्य लक्षणों वाले मरीज़ डॉक्टर की सुझायी गई दवाइयां खाकर होम आइसोलेशन में ठीक भी हो रहे हैं। लेकिन यह वक्त बहुत ही कठिन गुजर रहा है। क्योंकि परिवार और समाज से पूरी तरह कटकर रहना मरीज और परिजनों के लिए बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। सरकार ने इसे लेकर कुछ गाइडलाइन्स तैयार की हैं। इस गाइडलाइंस के मुताबिक -

अगर व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और उसे ज्यादा समस्या नहीं है तो वह घर पर ही ठीक हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना के लक्षण दिखने के 10 दिनों बाद उसका होम आइसोलेशन खत्म किया जा सकता है।

अगर मरीज को लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आया हो, तो ऐसे मरीजों को संक्रमण मुक्त मान लिया जाना चाहिए। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक तो ऐसे मरीजों को RTPCR टेस्ट रिपीट करवाने की जरूरत नहीं होती है। 

कोरोना वायरस की जांच में पहली बार पॉजिटिव पाए जाने के 10 दिन बाद बिना लक्षण वाले मरीजों का क्वारंटाइन पीरियड खत्म किया जा सकता है। वहीं अगर किसी तरह के लक्षण हैं जैसे बुखार, शरीर में दर्द और सांस  लेने में परेशानी तो डाक्टर की सलाह के बिना कोई फैसला नहीं ले। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना वायरस के बुखार की मियाद 14 दिनों की है। लेकिन शरीर में प्रवेश करने के 10 दिनों बाद वायरस संक्रमण नहीं फैला सकता है।

वहीं कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को 14 से 17 दिनों तक होम आइसोलेशन करने को कहा जाता है। मरीज के लक्षणों की गंभीरता के हिसाब से डाक्टरी सलाह लेकर आइसोलेशन खत्म किया जा सकता है। लक्षण वाले मरीजों को लक्षण दिखाई देने के कम से कम 14 दिन तक अलग ही रहना चाहिए।

वहीं जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखाई दे, वे कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 10 दिन बाद अपना होम आइसोलेशन खत्म कर सकते हैं। इस स्थिति में भी मरीजों को डॉक्टर से बात करके ही होम आइसोलेशन खत्म करने का निर्णय लेने की सलाह दी जाती है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर किसी मरीज को लगातार तीन दिनों से बुखार नहीं आया है, तो वह अगले 7 दिनों में आइसोलेशन खत्म कर सकता है। क्योंकि बुखार आने के बाद अन्य लक्षण भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। इसमें एक सप्ताह का समय लग जाता है।

मरीजों को सलाह दी जाती है कि जब होम आइसोलेशन में रहें तो डबल मास्क का उपयोग करें, मास्क को हर 8 घंटे बाद या गीला होने पर बदलते रहे, मास्क को साफ करने के लिए 1 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइड सॉल्यूशन का उपयोग करें।

 इस बारे में एम्स अस्पताल दिल्ली के डायरेक्टर डाक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उनका आइसोलेशन पीरियड सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा लंबा हो सकता है, उन्हें कोरोना की जांच की भी जरूरत पड़ सकती है। जबकि सामान्य व्यक्ति पहली बार लक्षण दिखने के 17 दिन बाद अपने सारे रूटीन काम कर सकता है।

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कोई भी मरीज 14 दिन बाद बिना टेस्ट के भी आइसोलेशन खत्म कर सकता है। कोरोना वायरस की साइकल 14 दिनों में पूरी हो जाती है, जिसके बाद वह मर जाता है। हल्के या मामूली लक्षणों की स्थिति में कोरोना वायरस हफ्ते भर में खुद मर जाता है।

कई बार ठीक होने के बाद RT-PCR टेस्ट में मृत कोरोना वायरस की वजह से भी रिपोर्ट पॉजिटिव आने की संभावना रहती है। मरीज के शरीर में कोविड 19 वायरस की डेड बॉडी होने पर भी RTPCR टेस्ट पॉजिटिव आती है। लेकिन इस स्थिति में वह किसी और को संक्रमित नहीं कर सकता है। समय से पहले होम आइसोलेशन खत्म करने से कोरोना संक्रमण फैल सकता है।

वहीं कोरोना मरीज का देखभाल करनेवालों को भी अपना खास ख्याल रखना चाहिए। डबल मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजर या हाथ धोते रहने रहना चाहिए।  

देश में अबतक लगभग ढाई करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से ढाई लाख से ऊपर लोगों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी संक्रामक है और मरीज़ अगर लापरवाही करता है तो तेज़ी से अपने चंगुल में ले लेती है। इसलिए जैसी ही किसी लक्षण का पता चले, तुरंत खुद को क्वारंटाइन करें और डॉक्टर की सलाह पर दवाइयां शुरू कर दें।