गुजरात के विकास मॉडल पर बड़ा सवाल, लगातार बढ़ रही है महिलाओं-बच्चों में खून की कमी

गुजरात में न सिर्फ़ एनीमिया का अनुपात काफ़ी अधिक है, बल्कि चिंता की बात यह भी है कि 2015 के बाद से एनमिया और कुपोषण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है

Updated: Dec 31, 2020, 04:30 PM IST

Photo Courtesy: NDTV
Photo Courtesy: NDTV

दिल्ली। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक ताज़ा रिपोर्ट ने विकास के उस गुजरात मॉडल पर एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका ढिंढोरा पीटकर बीजेपी ने देश की राजनीति में अपना दबदबा कायम किया था। खुद मोदी सरकार की ये रिपोर्ट बताती है कि देश के जिन राज्यों में महिलाओं और बच्चों में खून की कमी का अनुपात सबसे ज्यादा है, उनमें गुजरात भी शामिल है। यह जानकारी अंग्रेज़ी के प्रतिष्ठित अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर दी है।

गुजरात में 2015 के बाद और भयावह हुई एनीमिया की स्थिति

इतना ही नहीं सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि गुजरात में खून की कमी और कुपोषण के दूसरे मानकों पर महिलाओं और बच्चों की सेहत 2015-16 के बाद से सुधरने की बजाय और खराब होती गई है। 2015-16 से 2019-20 के दरम्यान गुजरात के बच्चों में एनीमिया के मामलों में 17.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 में प्रदेश के 6 से 59 महीने की उम्र के 62.6 फीसदी बच्चे खून की कमी से पीड़ित थे, जबकि 2019-20 में ऐसे बच्चों का अनुपात बढ़कर 79.7 फीसदी हो गया।

इसी तरह 2015-16 में राज्य की 15 से 49 साल की 54.9 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं और 2019-20 में ऐसी महिलाओं का हिस्सा 10.1 फीसदी बढ़कर 65 फीसदी हो गया। इसी दरम्यान 15 से 49 साल के पुरुषों में खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों का अनुपात 21.6 फीसदी से बढ़कर 26.5 फीसदी हो गया। यानी पूरे 5 फीसदी अधिक। चिंता की बात ये है कि जिन बच्चों के विकास पर देश का भविष्य निर्भर है, उनकी स्थिति सबसे ज्यादा तेज़ी से बिगड़ी है। ये तमाम आंकड़े 5 वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 5) के हैं। 

इन्हीं आंकड़ों के अनुसार गुजरात, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शामिल हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा एनिमिया के शिकार हैं। जबकि केरल, लक्षद्वीप, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम और नागालैंड का नाम उन राज्यों में शुमार है, जहां बच्चों और महिलाओं में खून की कमी के मामले सबसे कम हैं। चिंता की बात यह भी है कि पूरे देश के आधे से ज़्यादा राज्यों में पचास फीसदी से अधिक बच्चे और महिलाएं एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं। इनके मुकाबले पुरुषों में एनीमिया के शिकार लोगों का अनुपात 30 फीसदी से कम है। 

देश के 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सर्वे से पता चलता है कि इनमें से 15 में आधे से ज्यादा बच्चे और 14 में पचास फीसदी से अधिक महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। यह सर्वे 6 से 59 महीने के बच्चों और 15 से 49 वर्ष की महिलाओं और पुरुषों में किया गया था। भारत में करीब 39.86 फीसदी महिलाएं और बच्चे एनिमिक हैं। भारत दुनिया का सबसे अधिक एनीमिया रोगियों वाला देश है।

देश को एनीमिया से मुक्त करने के लिए पोषण अभियान और राष्ट्रीय पोषण रणनीति का पालन किया जा रहा है। नीति आयोग ने एनीमिया मुक्त भारत की रणनीति तैयार की गई है। जिसका लक्ष्य साल 2018-22 के बीच बच्चों, टीन एजर्स और 15-49 साल की महिलाओं में सालाना एनीमिया के मामलों में तीन प्रतिशत तक कमी लाना है।

इस सर्वे के अनुसार लद्दाख के 92.5 फीसदी बच्चे, 92.8 फीसदी महिलाएं और 76 फीसदी पुरुष एनीमिक मिले हैं। वहीं हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले की हालत खराब है, यहां 91 फीसदी बच्चे और 82 फीसदी महिलाएं एनीमिक पाई गई हैं। जबकि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के बाकी हिस्सों में एनीमिया की व्यापकता कम मिली है। जानकारों की मानें तो शीत मरुस्थलीय क्षेत्रों में एनीमिया ज्यादा पाए जाने की मुख्य वजह है यहां लंबे समय तक ठंडा मौसम रहना। जिसके कारण इन इलाकों में भीषण ठंड के दौरान ताजी सब्जियों और फलों की आपूर्ति कम हो पाती है। 

क्या है एनीमिया

एनीमिया याने शरीर में खून की कमी का हो जाना। हिमोग्लोबिन के प्रतिशत से शरीर में खून की मात्रा का पता चलता है। पुरुषों में यह 12 से 16 प्रतिशत और महिलाओं में 11 से 14 प्रतिशत के बीच होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो व्यक्ति को एनिमिक कहा जाता है।

एनीमिया का प्रमुख कारण क्या है

भोजन में आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 की कमी को एनीमिया का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। इसके अलावा सेहत से जुड़ी कुछ परेशानियां भी इसकी वजह हो सकती हैं। मिसाल के तौर पर महिलाओं में पीरियड के दौरान ज्यादा रक्त बहने, वहीं किसी बीमारी की स्थिति में भी एनीमिया हो सकता है। बच्चों में पेट में कीड़े होने की वजह से खून की कमी हो सकती है। महिलाओं में टीनएज और मीनोपॉज की उम्र में एनिमिक होने का संभावना ज्यादा रहती है। देश में करीब 80 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं। कई बार खून की कमी की वजह से महिलाओं की जान पर बन आती है।

एनीमिया के लक्षण

एनीमिया पीड़ित व्यक्ति की जीभ, नाखून और पलकों के अंदर सफेदी नजर आती है। मरीज को कमजोरी औऱ बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है। चक्कर आना, बेहोश होना, सांस फूलना, हार्टबीट तेज होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। एनीमिया की सही स्थिति का पता लगाने के लिए खून की जांच करानी चाहिए। 

एनीमिया से कैसे बचें

एनीमिया से बचने के लिए शुरू से ही खानपान का ख्याल रखना चाहिए, गर्भवती महिलाओं को आय़रन औऱ फोलिक एसिड की गोली की सेवन डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, गाजर, गुड़, मूंगफली, दालें, अंडा, अंकुरित अनाज, मशरूम, मटर, ड्रायफ्रूट, दालें, फिश, मीट, पाइनएप्पल का उपयोग करना चाहिए।