WHO का दावा, दुनियाभर में 60 फीसदी वैक्सीन भारत, चीन और अमेरिका को मिले

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में 2 अरब वैक्सीन डोज बांटे गए, इनमें से 60 फीसदी हिस्सा तीन देशों को मिला, गरीब देशों को नहीं मिल रहे टीके

Updated: Jun 05, 2021, 08:28 PM IST

Photo Courtesy: Business Standard
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डब्ल्यूएचओ। दुनियाभर के देश अपने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन से सुरक्षित करने के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण करने में जुटे हुए हैं। हालांकि, गरीब देशों की टीके तक पहुंच अब भी नहीं हो पाई है। अधिकांश गरीब देशों में टीकाकरण अभियान ठप पड़ा है। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि दुनियाभर के टीके के 60 फीसदी डोज सिर्फ तीन देशों को मिले हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस के वरिष्ठ सलाहकार ब्रुस एलीवर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि, 'अब तक दुनियाभर में वितरित किए गए कोरोना रोधी 200 करोड़ टीकों में से करीब 60 प्रतिशत टीके महज तीन देशों भारत, अमेरिका और चीन को मिले हैं। कोरोना वैक्सीन 212 से अधिक देशों में वितरित किए गए हैं। इनमें 75 फीसदी से अधिक खुराक 10 देशों को मिली है।'

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एलीवर्ड ने बताया कि इन 200 करोड़ टीकों में से चीन, भारत और अमेरिका को मिली 60 प्रतिशत खुराकों को घरेलू रूप से खरीदा और इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि केवल 0.5 फीसदी वैक्सीन के डोज गरीब देशों को मिले हैं जबकि वे दुनिया की आबादी में 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोवैक्स ने 127 देशों में कोरोना वैक्सीन वितरित करने और कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत से वैक्सीन मिलने की उम्मीद

एलीवर्ड ने भारत के सीरम इंस्टिट्यूट से वैक्सीन मिलने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, 'अब समस्या यह है कि टीकों की आपूर्ति बाधित हो रही हैं। भारत तथा अन्य देशों में दिक्कतों के कारण बाधाएं उत्पन्न हो रही है। हम उम्मीद करते हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कम से कम चौथी तिमाही में फिर से टीकों की आपूर्ति शुरू करें।' दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट भारत में है। दुनिया को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की उम्मीदें भारत से थी, लेकिन देश की स्थिति खराब होने के बाद सीरम को विदेशों में आपूर्ति बंद करनी पड़ी है।