CAA कानून असंवैधानिक, मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, तत्काल रोक लगाने की मांग
IUML ने कहा है कि CAA असंवैधानिक और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। धार्मिक पहचान के आधार पर वर्गीकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। CAA कानून लागू होते ही विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
आईयूएमएल ओर से देश की सबसे बड़ी अदालत में दी गई याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार दिया गया है। मुस्लिम लीग की तरफ से इस दौरान सीएए पर स्टे लगाने की मांग भी की गई है। उनका कहना है कि CAA असंवैधानिक है और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। धार्मिक पहचान के आधार पर वर्गीकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
IUML का कहना है कि संविधान की प्रस्तावना में परिकल्पना की गई है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसलिए पारित होने वाला कोई भी कानून धर्म निरपेक्ष होना चाहिए। CAA एक समूह को बहिष्कृत करने वाला कानून है। वहीं डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट ऑफ इंडिया भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अपनी लंबित याचिका पर सुनवाई की मांग कर सकता है।
उधर, CAA को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन का दौर भी जारी है। विरोध को दखते हुए कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश असम और दिल्ली उन संवेदनशील राज्यों में शामिल हैं, जहां पुलिस अलर्ट मोड पर है। असम में कांग्रेस की अध्यक्षता में बने 16 दलों के संयुक्त विपक्षी मंच ने सीएए के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है और आज राज्यव्यापी बंद बुलाया है। उन्होंने कहा कि हम सीएए के खिलाफ अपना अहिंसक, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रखेंगे।