Unlock 1 : कोरोना के आंकड़ा छिपा रहे हैं राज्य?

सरकारें Unlock 1 की तैयारी में है लेकिन कहा नहीं जा सकता है कि वे कोरोना संक्रमण और उससे मौत की सही तस्‍वीर पेश कर रही है क्‍योंकि उनके आंकड़ों में अंतर पकड़ा गया है।

Publish: May 31, 2020, 09:13 PM IST

Photo courtesy : newsclick
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क्‍या कोरोना के आगे असहाय हुई सरकारें अब कलंक से बचने के लिए आंकड़ों को छिपा रही हैं? मध्‍यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली में तेजी से बढ़ते केस और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा दिए जा रहे आंकडों में अंतर से यह सवाल उपजा है। मध्‍य प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने यह नहीं बता पा रहा है कि जांच की गई संख्‍या और उसके परिणाम में अंतर क्‍यों आ रहा है? गुजरात ने शुरूआत में तो दैनिक बुलेटिन के जरिए कोविड 19 की हर जानकारी शेयर की मगर बाद में उसने मौत के सही आंकड़े भी देना बंद कर दिए। वहीं तेलंगाना को कोविड के आंकड़ें न देने की वजह से हाईकोर्ट से फटकार भी पड़ी थी। दिल्‍ली सरकार देर रात आंकड़ें जारी कर रही है।

देश के साथ दिल्ली में हर रोज कोरोना का रिकॉर्ड टूट रहा है। रविवार सुबह दिल्‍ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1163 नए मामले सामने आए हैं, जो एक दिन में सबसे ज्यादा है। इस दौरान 18 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। दिल्ली में अब कोरोना के मामलों की संख्या 18 हजार से ज्यादा हो गई है। कोरोना के कारण 416 लोगों की जान जा चुकी है। इसके बाद भी कहा नहीं जा सकता है कि सरकार सही तस्‍वीर पेश कर रही है क्‍योंकि उसके आंकड़ों में अंतर पकड़ा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि शुक्रवार 29 मई की रात तक दिल्ली में 1036 का दाह संस्कार कोविड - 19 प्रोटोकॉल से हुआ है। परंतु सरकारी आंकड़े के मुताबिक केवल 392 लोगों की मृत्यु हुई है। ऐसा क्‍यों?

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनसार हालांकि संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या और भी ज्यादा होने की संभावना है क्योंकि दिल्ली में कमिटी द्वारा सिर्फ वहीं केस दर्ज किए गए हैं जिनमें मौत का प्राथमिक कारण कोविड-19 पाया गया है। महीने की शुरुआत में दिल्ली सरकार द्वारा मृतकों की संख्या और अस्पतालों से उपलब्ध जानकारी में बड़ा फर्क देखने को मिला था। विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना के अंतर के कारण इन मौतों का हिसाब नहीं हो पाया जिसे दिल्ली अब अपनी सूची में शामिल कर रही है।

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राज्य में हुई मौतों का गलत आंकड़ा पेश करने वाला दिल्ली अकेला राज्य नहीं है। इसमें कई अन्य राज्यों के नाम शामिल हैं। इसमें पश्चिम बंगाल का नाम सबसे ऊपर है। सिर्फ तमिलनाडु,कर्नाटक और केरल ही ऐसे राज्य हैं जोकि समय-समय पर राज्य में हुई मौतों का आंकड़े पेश करते रहते हैं। अन्य राज्यों ने शुरूआत में तो आंकड़े दिए मगर बाद में रोक दिए। गुजरात ने शुरूआत में तो दैनिक बुलेटिन के जरिए कोविड की हर जानकारी शेयर की मगर बाद में उसने मौत के सही आंकड़े भी देना बंद कर दिए। वहीं तेलंगाना को कोविड के आंकड़े न देने की वजह से हाईकोर्ट से फटकार भी पड़ी थी। राज्य में टेस्टिंग के मामले बिल्कुल शून्य थे। इसके अलावा 5000 ऐसे मामले हैं जिन्हें कोई भी राज्य अपनी सूची में शामिल नहीं करना चाहता।

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कोरोना फैलने लगा तो मध्‍य प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने डिटेल बुलेटिन देना बंद किया फिर बुलेटिन में आंकड़ें देरी से दिए जाने लगे। अब उसके आंकड़ों में मेल नहीं हैं। विभाग यह नहीं बता पा रहा है कि जांच की गई संख्‍या और उसके परिणाम में अंतर क्‍यों आ रहा है? मध्‍य प्रदेश में 22 मई तक जारी बुलेटिन में इन 3389 टेस्ट रिपोर्ट्स के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। सवाल यह है कि ये रिपोर्ट किन लोगों की है और यदि वे पॉजिटिव हुए तब क्‍या होगा?

इन सब में महाराष्ट्र ही एक ऐसा राज्य है जो नियमित रूप से एक साथ होने वाली मौतों की संख्या का अपने दैनिक बुलेटिनों में आंकड़ा देता है। एक तरफ जहां अन्य राज्यों में हर दिन ठीक हुए मरीजों की संख्या चार से छह हजार है वहीं महाराष्ट्र में यह संख्या 1000 है।

जांच कम रहे हैं राज्‍य

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान जैसे संगठन लगातार अधिक टेस्‍ट करने की मांग करते रहे हैं मगर जांच की गति काफी कम है। हमें लगता है कि भारत में जांच बढ़ी है मगर ऐसा है नहीं। राज्‍य इस तथ्य को छिपा रहे हैं कि कुछ राज्य एक महीना पहले की तुलना में अब हर दिन कम लोगों की जांच कर रहे हैं। यही कारण है कि भारत अपनी आबादी के अनुपात में सबसे कम टेस्टिंग दर वाले देशों में से एक है।