Rahul Gandhi : देश को कमजोर करने वाले खुद को बताते हैं राष्ट्रवादी

मरीकी डिप्लोमेट व पूर्व विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं

Publish: Jun 13, 2020, 01:29 AM IST

Photo courtesy : bhaskar
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमरीकी डिप्लोमेट व पूर्व विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स से कोरोना संकट के कारण वैश्विक व्यवस्था के नए सिरे आकार लेने की संभावनाओं पर चर्चा किए। राहुल ने कहा कि देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कह रहे हैं। बर्न्स ने भारत और अमेरिका के बीच कई मामलों में समानता बताते हुए कहा कि हम चीन के साथ संघर्ष की तैयारी में नहीं हैं बल्कि हम चीन के खिलाफ वैचारिक लड़ाई लड़ रहे हैं।

बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि हम खुले विचारों के हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह गुण अब गायब हो रहा है। यह काफी दु:खद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता जो मैं पहले देखता था। यह दोनों देशों में नहीं दिख रही है। इसके जवाब में बर्न्स ने कहा, 'स्वयं ही खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र के रूप में, हम इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में मतपेटी के जरिए हल करते हैं। हम हिंसा की ओर नहीं मुड़ते। वह भारतीय परंपरा ही है, जिसके कारण हम आपकी स्थापना के समय से ही भारत से प्यार करते हैं। 1930 के दशक के विरोध आंदोलन, नमक सत्याग्रह से 1947-48 तक। मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप सोचते हैं कि वो सबकुछ ठीक कर सकते हैं। लेकिन हमारे यहां सेना ने ही कह दिया है कि हम सेना सड़क पर नहीं उतारेंगे, हम संविधान के हिसाब से चलेंगे राष्ट्रपति के हिसाब से नहीं। अमेरिकी लोगों को प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। चीन और रूस जैसे देशों में अभी भी अधिनायकवाद हो रहा है।

विभाजन देश को कमजोर करता है

इस दौरान राहुल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की नींव कमजोर करने वाले आज खुद को राष्ट्रवादी बताते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में दिखाते हैं। जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं और इसी तरह से भारत में हिंदुओं, मुस्लिमों और सिखों को बांटते हैं तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं, लेकिन फिर देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं।'

हमें वैश्विक राजनीति का भविष्य चाहिए

बर्न्स ने कोरोना चुनौती के बारे में कहा, 'हमें वैश्विक राजनीति का भविष्य चाहिए। भले ही हम प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं।चीन और अमेरिका, भारत और अमेरिका। मगर हमें दुनिया को संरक्षित करने की जरूरत है। हम दुनियाभर के लोगों की ओर से एक साथ काम कर सकते हैं और लोगों को उम्मीद दे सकते हैं कि सरकार के रूप में हम उनकी मदद कर सकते हैं। कोविड के साथ यही चुनौती है।'

बर्न्‍स फिलहाल हार्वड कैनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। इसके पहले वे नाटो के पूर्व राजदूत, राजनीतिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। गौरतलब है कि इसके पहले लॉकडाउन के दौरान राहुल ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से बातचीत की है जिसमें बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज, ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रो आशीष झा, कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट स्वीडन के प्रो जोहान गिसीके, आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन व नोबल प्राइज विजेता अभिजीत बेनर्जी शामिल हैं।