Corona effect : भुखमरी की दहलीज़ पर दुनिया

Covid Effect : संयुक्‍त राष्ट्र ने किया आगाह, दुनियाभर में 50 सालों का सबसे बड़ा खाद्य संकट उत्पन्न होने का खतरा

Publish: Jun 14, 2020, 10:38 PM IST

Coronavirus से जूझ रही दुनिया के सामने केवल संक्रमण और मौत रोकना ही सबसे बड़ी चुनौत नहीं है। इससे आगे भूखमरी का खतरा मंडरा रहा है। इस समय पूरा विश्व खाद्य संकट के कगार पर खड़ा है। यह पिछले 50 वर्षों का सबसे बड़ा खाद्य संकट है। हालांकि, कई देशों में खाद्य संकट कोरोना के पहले भी गहरा रहा था मगर अब स्थिति अधिक बिगड़ चुकी है। ऐसे में तमाम सरकारों को इस खाद्य आपदा से निपटने के लिए तेज़ी से काम करना होगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया भर को खाद्य संकट से आगाह करते हुए यह चेतावनी दी है। एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ' कोरोना के इस दौर में गरीबों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना महामारी गरीबों के मुंह से रोटी छीन लेगी। भोजन की उपलब्धता गरीबों की पहुंच से बाहर का विषय बनते देर नहीं लगेगी। '

पांच करोड़ से ज़्यादा लोग गरीबी के शिकार हो सकते हैं

संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि महामारी जनित परिस्थितियों के कारणवश दुनिया भर में 5 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों पर गरीबी के चंगुल में फंसने का ख़तरा बना हुआ है। यह समस्या केवल तात्कालिक नहीं रहेगी। इसके दीर्घकालिक परिणाम और भी बदतर हो सकते हैं। ऐसे में गुटेरेस ने दुनिया भर की सरकारों से यह अपील की है कि इस भावी संकट को मद्देनजर रखते हुए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं।

गुटेरेस ने समस्या से निपटने के लिए सुझाव दिए

महासचिव गुटेरेस ने इस खाद्य संकट से निपटने के लिए तीन बिंदुओं में सुझाव भी दिए हैं। आपदा से बचने के लिए सबसे बुरी तरह से त्रस्त क्षेत्रों की सहायता पर ध्यान केंद्रित करना,सरकारों द्वारा खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्राथमिकता देना तथा सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना ताकि युवा बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं और अन्य जोखिम वाले समूहों में - उन बच्चों सहित, जिन्हें लॉकडाउन में स्कूल भोजन नहीं मिल रहा है वो पर्याप्त पोषण प्राप्त कर सकें। गुटेरेस के अनुसार ये सारे कदम खाद्य संकट से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने में कारगर साबित हो सकते हैं।

लॉकडाउन की वजह से फसल खरीदने और बेचने में बाधा उत्पन्न हुई

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरो ने कहा कि दुनिया की खाद्य प्रणालियां हाल के दिनों में पहले की तरह खतरे में नहीं थीं। मैक्सिमो टोरो ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उनके अनुसार महामारी और तालाबंदी से लोगों को फसल लेने और खरीदने और बेचने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई। टोरो ने चेतवानी देते हुए कहा कि 'हमें सावधान रहने की जरूरत है'। टोरो ने इसे अब तक का सबसे अलग और गंभीर खाद्य संकट बताया।

गौरतलब है कि मंगलवार को प्रकाशित खाद्य सुरक्षा और पोषण पर कोविड -19 के प्रभाव के बारे में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वेस्टर स्वस्थ हैं और अनाज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों की आपूर्ति मजबूत है। लेकिन ज्यादातर लोग अपने भोजन को स्थानीय बाजारों से प्राप्त करते हैं, जो लॉकडाउन की चपेट में हैं। बढ़ती बेरोजगारी और लॉकडाउन से जुड़ी आय का नुकसान कई संघर्षरत लोगों के लिए भोजन को पहुंच से बाहर कर रहा है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक बाजार स्थिर बने हुए हैं, कुछ देशों में बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ने लगी है।

लॉकडाउन से पहले भी खाद्य प्रणाली विफल हो रही थी

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से पहले भी कई क्षेत्रों में वैश्विक खाद्य प्रणाली विफल हो रही थी। रिपोर्ट में संघर्ष, प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु संकट और मौजूदा समस्याओं के रूप में कीटों और पौधों और जानवरों की विपत्तियों के आगमन की ओर इशारा किया गया है। उदाहरण के लिए, पूर्वी अफ्रीका दशकों से टिड्डियों के सबसे खराब झुंडों का सामना कर रहा है, जबकि भारी बारिश राहत प्रयासों में बाधा बन रही है।

कोरोना हर तरीके से हमला कर रहा है

कृषि वैज्ञानिक अग्नेस कालिबाटा के मुताबिक कोविड -19 संकट हर कोण पर हम पर हमला कर रहा है। उन्होंने कहा "इसने हमारे खाद्य प्रणालियों में खतरनाक कमियों को उजागर किया है और दुनिया भर के लोगों के जीवन और आजीविका को सक्रिय रूप से खतरे में डाल दिया है, विशेष रूप से 1 बिलियन से अधिक लोगों की आजीविका ख़तरे में पड़ गई है जिन्होंने खाद्य प्रणालियों में विभिन्न उद्योगों में रोजगार प्राप्त किया है।

ज़ाहिर है संयुक्त राष्ट्र संघ की कोरोना के कारण अभी और आगे पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालती यह रिपोर्ट दुनिया भर के तमाम देशों के लिए एक चेतावनी भरा संदेश है। खाद्य संकट द्वारा पैदा होने वाली अन्य सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द कई ज़रूरी कदम उठाने की आवश्कता इस समय की मांग है।