Lockdown 4.0 : चार दिन तक ट्रेन में पड़ा रहा मजदूर का शव
coronavirus effect श्रमिक स्पेशल ट्रेनें तो चलाई गई पर उसमें भी बदइंतजामी ने मजदूरों का प्राण लेना नहीं छोड़ा है। इन ट्रेनों में अबतक 9 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है।

कोरोना महामारी के बीच देश के विभिन्न जगहों पर फंसे मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मजदूरों के मरने का सिलसिला जारी है। ताजा मामला झांसी का है जहां ट्रेन में एक मजदूर का शव चार दिनों तक पड़ा रहा पर किसी ने उसकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। 38 वर्षीय युवक उत्तरप्रदेश के बस्ती का था जो मुंबई में लॉकडाउन के दौरान काम न मिलने के कारण 21 मई को घर के लिए निकला था। बताया जा रहा है कि युवक का शव पिछले चार दिनों से ट्रेन के टॉयलेट में पड़ा था जो सफाई के दौरान रेलवे कर्मचारियों को दिखा।
उत्तरप्रदेश के झांसी में 27 मई को एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन की सफाई के दौरान टॉयलेट से चार दिनों पुरानी मजदूर की लाश मिली है। मजदूर की पहचान बस्ती के रहने वाले मोहन लाल शर्मा (37) के रूप में हुई है जो मुंबई में काम करते थे। बताया जा रहा है कि मोहन 21 मई को घर आने के लिए मुम्बई से एक निजी बस में सवार होकर निकले थे। रेलवे अधिकारी बता रहे हैं कि वे 23 मई को झांसी से गोरखपुर जाने वाली एक ट्रेन में सवार हुए थे जो बस्ती से करीब 70 किलोमीटर दूर है। उनके शव के पास से मिले टिकट में प्रस्थान का समय सुबह 11.40 बजे दिखाया गया है।
मामले पर केंद्रीय रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर मीडिया पर रेलवे की लापरवाही की भ्रामक खबरें चलाने का आरोप लगाया है। रेलवे का दावा है कि ट्रेनों में भोजन व पानी की समुचित व्यवस्था कराई गई है वहीं मजदूर ने यात्रा के दौरान कोई मेडिकल इमरजेंसी कॉल भी नहीं किया है।गौरतलब है कि खासी किरकिरी होने के बाद केंद्र सरकार ने मजदूरों को घर जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें तो चलवाई पर उसमें भी बदइंतजामी ने मजदूरों का प्राण लेना नहीं छोड़ा है। इन ट्रेनों में अबतक 9 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है, हालांकि भारतीय रेलवे लगातार यह दावा करता रहा है कि मजदूरों की मौत भूख-प्यास से नहीं बल्कि पुरानी बीमारी की वजह से हुई है।