US Students Visa : ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कोर्ट पहुंचे Harward और MIT

Harwatd, MIT : विदेशी छात्रों के अमेरिका छोड़ने के आदेश के खिलाफ अपील, अमेरिकी सांसदों और शिक्षाविदों ने इस कानून को भयावह और क्रूर बताया

Publish: Jul 09, 2020, 08:53 AM IST

courtesy : nbcnews.com
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अमेरिका के हार्वर्ड विश्विद्यालय और मैसाच्युसेट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी शिक्षण संस्थानों ने ट्रंप प्रशासन के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि यदि विश्वविद्यालय ऑनलाइन क्लास का आयोजन करते हैं तो उनमें पढ़ने वाले छात्रों को अमेरिका से जाना होगा और ऐसा ना करने पर उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। दोनों शिक्षण संस्थानों ने अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा विभाग और इमिग्रेशन एजेंसी के इस आदेश के खिलाफ बॉस्टन की एक निचली अदालत में अपील की है। दोनों संस्थानों ने इस आदेश पर अस्थाई तौर पर रोक लगाने और ट्रंप प्रशासन को छात्रों के ऊपर किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई करने से रोकने की मांग की है।

इस पूरे मामले पर टिप्पणी करते हुए हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अध्यक्षा लैरी बकॉऊ ने कहा, “यह आदेश बिना किसी नोटिस के जारी किया गया। इसकी क्रूरता को बस इसकी लापरवाही ही पीछे छोड़ रही है। हम मानते हैं कि यह आदेश गैरकानूनी है।”

ट्रंप प्रशासन ने इस आदेश के लिए कोरोना वायरस संकट का हवाला दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह और कुछ नहीं बल्कि ट्रंप की संकीर्ण राजनीति की उपज है, जो मूल रूप से प्रवासी विरोध पर टिकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप यह जताना चाहते हैं कि वे अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी के तहत देश में रहने वाले प्रवासियों पर कड़े कदम उठा रहे हैं और देश को बाहरी संकट के बचाने के साथ-साथ नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अमेरिका वासियों के लिए जगह बना रहे हैं। ट्रंप कहते हैं कि प्रवासियों ने अमेरिका पर कब्जा कर लिया है और अमेरिका के लोगों के संसाधनों को लूट लिया है।

कई अमेरिकी सीनेटर और शिक्षाविद इस आदेश को भयावह और क्रूर करार दे चुके हैं। अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन (एसीई), जिसमें विश्वविद्यालय के अध्यक्षों का प्रतिनिधित्व होता, ने कहा कि यह दिशानिर्देश ‘भयावह’ है और इससे भ्रम की स्थिति पैदा होगी क्योंकि स्कूल सुरक्षित तरीके से उन्हें खोलने का रास्ता तलाशेंगे।

वहीं अमेरिकी सीनेटर लिजाबेथ वारेन ने ट्वीट किया, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय छात्रों को महामारी के समय बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि कॉलेज सामाजिक दूरी कायम रखने के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की ओर बढ़ रहे हैं और इससे छात्रों को परेशानी होगी। यह मनमाना, क्रूर और विदेशियों के प्रति भय का नतीजा है। आईसीई और आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय को इस नीति को तुरंत वापस लेना चाहिए।’’

सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने भी इस आदेश पर ट्वीट किया, “इस तरह की क्रूरता के लिए व्हाइट हाउस की कोई सीमा नहीं है। विदेशी छात्रों को इस विकल्प के साथ धमकाया जा रहा है कि या तो अपनी जान खतरे में डाल कर कक्षा में जाएं या निर्वासित हों। हमें ट्रम्प की कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना होगा। हम सभी छात्रों को सुरक्षित रखेंगे।”

अमेरिका के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों और अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों के परिसंघ ‘ एनएएफएसए’ के आर्थिक विश्लेषण के मुताबिक विदेशी छात्रों ने अकादमिक वर्ष 2018-19 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 41 अरब डॉलर का योगदान किया और 4,58,290 नौकरियां सृजित हुईं।

दूसरी तरफ कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से अब तक अमेरिकी कॉलेज और यूनिवर्सिटी ने सेमेस्टर प्लान जारी नहीं किया है. पढ़ाई के लिए हालांकि वे अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी सभी क्लास ऑनलाइन कर दी हैं. यूनिवर्सिटी ने कहा, "40% अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट को कैम्पस में आने की मंजूरी दी जा रही है, लेकिन इसके लिए भी ऑनलाइन इंस्ट्रक्शन जारी की जाएंगी।"

साल 2018-19 में अमेरिका में पढ़ाई के लिए कुल 10 लाख विदेशी छात्रों ने वीजा लिए हैं। यह अमेरिका में हायर स्टडीज करने वाले कुल छात्रों का 5.5% है. साल 2018 में अमेरिका को विदेशी छात्रों से 44.7 करोड़ डॉलर की कमाई हुई थी। अमेरिका में पढ़ने वाले छात्रों में चीन के बाद भारत, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और कनाडा का स्थान है।