Indian Ocean: तेल रिसाव के बाद मॉरीशस में पर्यावरण आपातकाल

Mauritus: जापानी कंपनी का जहाज चीन से तेल लेकर जा रहा था ब्राजील, फ्रांस ने प्रदूषण रोकने के लिए भेजा मिलिट्री एयरक्राफ्ट

Updated: Aug 09, 2020, 11:59 PM IST

Pic: Deccan Chronicle
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हिंद महासागर में जापानी कंपनी के स्वामित्व वाले एक तेलवाहक के जहाज से हजारों टन तेल रिसाव के बाद छोटे से द्वीप देश मॉरीशस ने पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा कर दी है। यह तेल रिसाव जहां हो रहा है, उस क्षेत्र को मॉरीशस ने पहले से ही संवेदनशील घोषित किया हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि जहाज से निकले तेल के कारण पानी पर एक गाढ़ी काली परत चढ़ गई है। मॉरीशस के राष्ट्रपति प्रविंद जुगनॉथ ने सात अगस्त की शाम यह जानकारी साझा की। बताया जा रहा है कि जहाज 4 हजार टन तेल लेकर चीन से ब्राजील जा रहा था।

मॉरीशस के राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने फ्रांस से सहायता मांगी है। उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना की वजह से मॉरीशस के निवासियों के सामने एक खतरा आ खड़ा हुआ है। मॉरीशस में करीब 3 लाख लोग रहते हैं और लगभग पूरी तरह से पर्यटन पर आश्रित हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्व भर में पर्यटन उद्योग को बहुत बड़ा झटका लगा है।

एक बयान में उन्होंने कहा, “हमारे देश के पास इस तरह के संकटों से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। खराब मौसम ने स्तिथि और बिगाड़ दी है। मुझे चिंता है कि जब नौ अगस्त को मौसम और अधिक खराब हो जाएगा तो क्या होगा।”

फ्रांस का ‘आइलैंड ऑफ रीयूनियन’ म़ॉरीसस का सबसे करीबी पड़ोसी है। फ्रांस की सरकार का कहना है कि मॉरीशस में विदेशी निवेश के मामले में फ्रांस पहले स्थान पर है और देश के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है।

फ्रांस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट प्रदूषण नियंत्रण का काम करेंगे और नौसेना के जहाज भी मॉरीशस जाएंगे। फिलहाल तेल के फैलाव को रोकने के लिए काम चल रहा है।

यह जहाज ओकियो मैरीटाइम कॉपरेशन एंड नागासाकी शिपिंग लिमिटेड नाम की जापानी कंपनी है। इस मामले में एक जांच बिठा दी गई है, जो यह पता लगाएगी क्या कंपनी की लापरवाही की वजह से यह दुर्घटना हुई है। वहीं कंपनी ने कहा है कि खराब मौसम के कारण यह दुर्घटना हुई है और वह सभी प्रकार की मदद करने के लिए तैयार है। स्थिति बिगड़ने पर दूसरे हिंद महासगरीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी जा सकती है।