अफगानिस्तान के लोग अब खुद संभालें अपना देश, हम वहां राष्ट्र निर्माण करने नहीं गए थे- बाइडेन

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने ऐलान किया है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अभियान 31 अगस्त तक खत्म हो जाएगा, उन्होंने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा है की वहां के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना है

Updated: Jul 09, 2021, 12:04 PM IST

Photo Courtesy : NDTV
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वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति को बाइडेन ने ऐलान किया है कि अफगानिस्तान में अमेरिका का सैन्य अभियान 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपना भविष्य स्वयं तय करना है। वे अब खुद ही अपना देश संभालें। उधर अमेरिकी सेना के लौटने की प्रक्रिया शुरू होते ही तालिबान ने अफगानिस्तान में आतंक मचाना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट है कि देश के 85 फीसदी इलाकों में आतंकी संगठन तालिबान ने कब्जा कर अपने काले कानून थोप रही है।

बाइडेन ने बताया है कि 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में महज 650 अमेरिकी सैनिक ही मौजूद रहेंगे, जिनका काम अमेरिकी दूतावास को सुरक्षा देना होगा। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि साल 2001 में अमेरिका का अफगानिस्तान पर हमला करने का मकसद राष्ट्र निर्माण करना नहीं था, बल्कि हमारा जो मकसद था वह हमने पूरा कर लिया। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी सेना के जीत का ऐलान तो नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि हमने वहां से अल कायदा का सफाया कर दिया और ओसामा बिन लादेन को मार डाला। हमारा लक्ष्य वही था जिसे हासिल करने के बाद अफगानिस्तान में सैन्य अभियान जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है। 

बाइडेन ने सवाल पूछते हुए कहा कि, 'आप अब और कितने हजार अमेरिकी बेटों और बेटियों की जान खतरे में डालना चाहते हैं? कब तक आप उन्हें वहां रखना चाहते हैं? मैं देश की एक और पीढ़ी को बिना किसी तर्कसंगत उम्मीद और नतीजों के अफगानिस्तान में मरने के लिए नहीं भेजूंगा। इन बीस सालों में अमेरिका के एक हजार अरब डॉलर खर्च हुए, हमारे 2 हजार 448 सैनिक मारे गए और 20 हजार 722 सैनिक घायल हुए। अब अफगानिस्तान के लोग खुद अपने देश को संभालें।'

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राष्ट्रपति बाइडेन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चल रही इन खबरों को भी खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के तत्काल बाद पूरे देश पर तालिबान का कब्जा होगा। उन्होंने कहा, ‘अफगान के लोगों के पास सरकार बनाने की क्षमता है। इस बात का सवाल ही नहीं है उठता कि उनमें क्षमता है या नहीं। उनके पास बल हैं, साधन हैं सबकुछ है। सवाल यह है कि क्या वे ऐसा करेंगे? यह फर्ज और जिम्मेदारी अफगान लोगों की है कि वे अपने देश को कैसे चलाना चाहते हैं।' 

अफगानिस्तान के 85 फीसदी हिस्से पर तालिबान का कब्जा

इसके पहले अमेरिकी सेना ने मंगलवार को ही बताया था कि 90 फीसदी सेना अफगानिस्तान से वापस लौट चुकी है। तालिबान के मुताबिक उसने देश के 85 फीसदी हिस्सों को कब्जे में ले लिया है और अपना शासन चलाना शुरू कर दिया है। देश के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि 1,500 अफगान सैनिक भागकर पड़ोसी देश चले गए हैं। तालिबान के लोग अफगानी सेना की नृशंस हत्या कर रहे हैं लेकिन अमेरिका अब उनकी मदद के बजाय तेजी से अपने अभियान को विराम देने में जुटा हुआ है। 

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय का कहना है कि हमारे सुरक्षा बल इलाके में मौजूद हैं और तालिबान के साथ संघर्ष कर रहे हैं। तालिबान के कब्जे से सभी इलाकों को छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार इसमें सक्षम नहीं है। अफगानिस्तान से यह भी खबर आई है कि तालिबान ने इलाकों में कब्जा जमाते ही नए कानून थोपना शुरू कर दिया है। महिलाओं को अकेले घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है, वहीं पुरुषों को बड़ी दाढ़ी रखना अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं तालिबानी फरमान का उल्लंघन करने वालों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है।