Coldrif सिरप से ही हुई मासूमों की मौत, तमिलनाडु की जांच रिपोर्ट आने के बाद जागी MP सरकार
सीएम मोहन यादव ने स्वीकारा है कि छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण ही बच्चों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया गया है।

भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई 10 बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। तमिलनाडु सरकार की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि जीवन रक्षक दवाएं ही मासूमों के लिए जहर साबित हुई। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी स्वीकारा है कि छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण ही बच्चों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया गया है।
जहरीले Coldrif सिरप के कारण छिंदवाड़ा के परासिया में शिवम, विधि, अदनान, उसैद, ऋषिका, हेतांश, विकास, चंचलेश और संध्या की मासूम हंसी हमेशा के लिए खामोश हो गई। एक के बाद एक मासूमों की हो रही मौत के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार रिपोर्ट आने का हवाला देकर दवा कंपनी का बचाव करती रही। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने तो बगैर जांच के ही दवा कंपनी को क्लीनचिट तक दे दिया। कंपनी को क्लीनचिट देने की जल्दबाजी में स्वास्थ्य मंत्री ने ये तक नहीं सोचा कि ये दवा प्रदेश के नौनिहालों की जान ले रही है।
अब तमिलनाडु सरकार की रिपोर्ट के बाद मध्य प्रदेश सरकार जागी है और सीएम मोहन यादव ने दवा पर बैन लगाया है। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में लिखा, 'छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।'
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उन्होंने आगे कहा कि सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। आज सुबह जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया है। बच्चों की दुखद मृत्यु के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई चल रही थी। राज्य स्तर पर भी इस मामले में जांच के लिए टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
अब सवाल ये है कि जब प्रदेश के नौनिहालों की ज़िंदगी दांव पर थी, तो तमिलनाडु की रिपोर्ट आने का इंतज़ार क्यों किया जा रहा था? क्या मध्य प्रदेश सरकार दवाओं की जांच कराने में सक्षम नहीं थी? तमिलनाडु फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कांचीपुरम की एम/एस स्रेसन फार्मा कंपनी से इस सिरप के सैंपल लिए जिनमें जिनमें खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या ईथाइलीन ग्लाइकॉल (ईजी) पाई गई। इस सिरप के बैच नंबर एसआर-13 में डीईजी की मात्रा तय सीमा से कहीं ज्यादा (48.6% तक) पाई गई।
DEG एक जहरीला रसायन है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर पेंट, ब्रेक ऑयल और प्लास्टिक बनाने में होता है। दवाओं में इसकी बहुत सीमित मात्रा की अनुमति होती है, जो शरीर को नुकसान न पहुंचाए। लेकिन कोल्ड्रिफ सिरप में डीईजी की इतनी ज्यादा मात्रा थी कि यह बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुई। यह रसायन किडनी और लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, नसों पर असर डाल सकता है और खासकर छोटे बच्चों के लिए घातक है।
जांच के बाद तमिलनाडु सरकार ने कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया, उत्पादन रोक दिया और सारा स्टॉक जब्त कर लिया। दक्षिणी राज्य में हुई इस कार्रवाई के बाद मध्य प्रदेश सरकार की आंखें खुली और शनिवार को इन जहरीले दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। जबकि पिछले एक महीने से प्रदेश में मौत का तांडव जारी था।