सीएम के क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं आई, साधु की मौत
एम्बुलेंस तो नहीं आई मगर शिकायत दर्ज करवाने के 24 घंटे बाद हेल्प लाइन से शिकायत निवारण की स्थिति जानने का फोन जरूर आ गया।

भोपाल। यह सिस्टम की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा ही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र गृह जिले सीहोर में नर्मदा किनारे बांद्राभान में एक युवा साधु की समय पर उपचार न मिलने से मृत्यु हो गई। सेवादार अपनी बाइक से साधु को शाहगंज, बुधनी तो होशंगाबाद ले कर दौड़ते रहे मगर सही इलाज नहीं मिला। तंत्र की विफलता का नमूना यह कि एम्बुलेंस तो नहीं आई मगर शिकायत दर्ज करवाने के 24 घंटे बाद हेल्प लाइन से शिकायत निवारण की स्थिति जानने का फोन जरूर आ गया। जब सीएम हेल्प लाइन में 104 और 108 हेल्प लाइन के ठीक से काम न करने की शिकायत की गई तो वहां से जवाब मिला कि आपकी शिकायत लॉकडाउन खत्म होने के बाद दर्ज की जाएगी।
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कोरोना संकट के समय में जब हेल्थ सिस्टम को अधिक अर्लट होना चाहिए यह सबसे बीमार रूप में सामने आ रहा है। मामला बुधनी इलाके का है। यहां के प्रख्यात नर्मदा तट बांद्राभान में 35 वर्षीय साधु ब्रह्मचारी ब्रह्मानंद सरस्वती की तबीयत खराब थी। उनका शाहगंज से इलाज करवाया जा रहा था। 30 अप्रैल को आश्रम में ही उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उनके सेवादार विकास ने एम्बुलेंस के लिए 108 पर फोन किया। विकास ने बताया कि हेल्प लाइन 108 ने एम्बुलेंस भेजने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि 104 पर फोन लगाइये। उनकी अनुमति के बाद ही एम्बुलेंस भेजी जा सकेगी। विकास ने फिर हेल्पलाइन 104 पर फोन लगाया वहां शिकायत तो दर्ज की गई। शिकायत नंबर मांगने पर कहा गया कि आपके पास कॉल आ जाएगा।
जब देर तक कोई कॉल या एम्बुलेंस नहीं आई और तबीयत अधिक बिगड़ने लगी तो विकास साधु को मोटरसाइकिल पर शाहगंज ले गए। वहां डॉक्टरों ने कहा कि इन्हें भोपाल ले जाएं। एम्बुलेंस न होने के कारण शाहगंज थाने से गुहार लगाई गई। शाहगंज थाने से उन्हें बुधनी अस्पताल भेज दिया गया। बुधनी अस्पताल से डॉक्टर ने उन्हें देख कर होशंगबाद भेज दिया। होशंगाबाद में एक्स रे, खून की जांच आदि कर भर्ती कर लिया गया। मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका। सेवादार विकास का आरोप है कि जब साधु की तबीयत बिगड़ी तब की इलाज मिलता तो उन्हें बचाया जा सकता था। होशंगाबाद में भी उन्हें ऑक्सीजन जैसी अनिवार्य सुविधा भी नहीं मिली।
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आश्रम संचालक चंद्रशेखर भार्गव ओर सेवादार विकास ने कहा कि युवा साधु की मौत की जांच होनी चाहिए। उन्हें समय पर इलाज मिलता तो उनकी मृत्यु नहीं होती। हम बार बार हेल्प लाइन पर फोन करते रहे मगर हमें 104 तो कभी 108 पर फोन करने के लिए कहा जाता रहा। वे नाराज हैं कि बुलाने पर एम्बुलेंस तो नहीं आई मगर 24 घंटे बाद हेल्प लाइन से यह पूछने को फोन आ गया कि आपकी शिकायत का क्या हुआ? तब तक तो साधु की मृत्यु हो चुकी थी।
सेवादार विकास ने बताया कि उनके पास हर बार की गई शिकायत की रिकार्डिंग उपलब्ध है। उन्होंने जब सीएम हेल्पलाइन में भी फोन कर मामले की शिकायत करनी चाही तो कहा गया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनकी शिकायत पर गौर होगा।