समानता पाने के लिए ‘दूरी’ बना कर प्रदर्शन

समान कार्य पर आशा और उर्षा कार्यकर्ता 2 हजार रुपए पा रही हैं जबकि अन्य स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा है।

Publish: Apr 30, 2020, 08:00 AM IST

मैदानी स्‍तर पर स्वास्थ्य सेवाएं दे रहीं आशा और उर्षा कार्यकर्ताओं ने अपने समान कार्य कर रहे अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की तरह समान मानेदय की मांग करते हुए सोशल डिस्‍टेंसिंग के साथ प्रदर्शन किया। इन कार्यकर्ताओं की पीड़ा यह है कि मैदानी स्‍तर पर समान कार्य या अधिक कार्य करते हुए उन्‍हें 2 हजार रुपए ही मानदेय मिल रहा है जबकि अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपए मानदेय प्रदान किया जा रहा है।

आशा, ऊषा, आशा सहयोगी एकता यूनियन मध्य प्रदेश (सीटू) के आह्वान पर आशा एवं सहयोगियों ने प्रदेश के 18 जिलों में विभिन्न गांव एवं शहरी क्षेत्रों को मिलाकर 355 स्थानों पर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्राथमिक चिकित्सालयों, आरोग्य केन्द्रों, पंचायत भवनों, गांवों के पास सड़क, बस्ती आदि स्थानों पर हुए। कोरोना लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्‍याल किया गया। प्रदर्शन के दौरान मास्‍क लगाए कार्यकर्ता एक दूसरे से दूर रह कर एकता दिखाती रहीं।   

आशाओं ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स, लेब तकनीशियन, सफाई मजदूर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। आशा एवं आशा सहयोगी भी अपनी जान जोखिम में डाल कर कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने, लोगों को जागृत करने, संक्रमित लोगों का पता लगा कर उनको इलाज के लिए अस्‍पताल भेजने, होम क्‍वारैंटाइन के मामलों का फोलोअप करने सहित अति महत्वपूर्ण काम बिना समुचित सुरक्षा उपकरण के कर रही हैं। यही कारण है कि आशाओं के भी संक्रमित होने की खबरें आने लगी है। इतने जोखिम के बाद भी सरकार तुच्छ राशि देकर आशाओं से अधिक काम लें रही है।

संगठन ने बताया कि अन्य राज्य सरकारें वर्षो से अपनी ओर से आशाओं को अतिरिक्त वेतन दे रही है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आशाओं को अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही है। संगठन ने शासन को चेतावनी दी है यदि मांगें नहीं मानी गई तो वे काम का बहिष्कार करने को विवश होगी।