हॉस्पिटल नहीं होटल में भर्ती हो रहे आयुष्मान कार्ड होल्डर, जबलपुर में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का खुलासा
पैसों की लालच में आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को अस्पताल की जगह होटल में भर्ती करवा रहे थे डॉक्टर दंपत्ति, मामूली जुकाम होने पर भी आयुष्मान योजना के तहत निकाला जा रहा था सरकारी खजाने से पैसा

जबलपुर। मध्य प्रदेश में सरकारी खजाने से किस तरह की लूट मची हुई है, इसका अंदाजा जबलपुर के इस खबर से लगाया जा सकता है। यहां आयुष्मान कार्ड होल्डर हॉस्पिटल में नहीं बल्कि होटल में भर्ती हो रहे थे। स्वास्थ्य विभाग और आयुष्मान योजना के अधिकारियों ने जब एक होटल में छापा मारा तो 70 लोग वहां भर्ती मिले। जांच में पता चला कि इन्हें प्रति दिन के हिसाब से 1 हजार रुपए दिए जाते थे और आयुष्मान योजना के तहत डॉक्टर दंपत्ति लाखों रुपए सरकारी खजाने से निकाल रहे थे।
मामला जबलपुर के राइट टाउन स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल का है। हॉस्पिटल के बगल में वेगा होटल है। स्वास्थ्य विभाग के छापे के दौरान होटल में करीब 70 आयुष्मान कार्ड होल्डर मरीज मिले। उनकी हालत भी गंभीर नहीं थी। मामूली जुकाम होने पर भी उन्हें भर्ती कराया गया था। देखने पर ही समझ में आ रहा था कि इन्हें बिल बढ़ाने के लिए भर्ती करके रखा गया है।
Around 70 Ayushman Bharat scheme beneficiaries being treated not in a hospital but in a non-operational hotel without proper facilities in Jabalpur. In many rooms, two patients were being treated on one bed. The hotel cum hospital was sealed on Sunday @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/uvJ1pP4eQ8
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) August 29, 2022
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीजों से पूछताछ की तो अधिकारियों के होश उड़ गए। टीम समझ गई कि यह पूरा खेल आयुष्मान योजना के पैसे हड़पने के लिए खेला जा रहा है। अस्पताल संचालक ऐसे मरीजों को होटल में भर्ती कर रहा था जिन्हें मामूली सी बीमारियां हैं। अस्पताल में सर्दी, जुखाम, बुखार, बदन दर्द जैसी बीमारियों के लिए भी मरीजों को 3 से 5 दिन तक होटल में भर्ती रखा और उनके आयुष्मान कार्ड का इस्तेमाल किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल संचालक ने पूरे शहर में सक्रिय दलाल रखे थे। ये दलाल आसपास के शहरी व ग्रामीण इलाकों घूमकर अस्पताल के लिए मरीज ढूंढकर लाते थे। अस्पताल प्रबंधन द्वारा दलाल को हर मरीज पर 5 हजार रुपये दिया जाता था। जबकि मरीजों को भती होने के रोज एक हजार रुपये मिलते थे। यानी मरीज जितने दिन रहता, उतने दिनों के उसे रुपये मिलते। अस्पताल प्रबंधन छोटी-मोटी बीमारी के मरीजों को भी 4 से 5 दिन के लिए भर्ती करता था। इस तरह आयुष्मान योजना के तहत लाखों रुपए सरकारी खजाने से निकाली जा रही थी।
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जबलपुर के एडिशनल एसपी गोपाल खंडेल ने बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि अस्पताल आयुष्मान भारत कार्ड धारकों को भर्ती होने के लिए पैसे दे रहा है। सूचना मिलने कर स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया और होटल पर छापा मारा गया। खंडेल ने कहा कि जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल संचालक डॉ. अश्विनी पाठक और उनकी पत्नी डॉ. दुहिता पाठक के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। वहीं जिलाधिकारी के निर्देश पर आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज जिस होटल में किया जा रहा था, उसे सील कर दिया गया है।