पूर्व सैनिकों को सीएम शिवराज की नयी घोषणा पर भरोसा नहीं, 20 साल से मिले आरक्षण की अनदेखी का लगाया आरोप

अग्निपथ आंदोलन को रोकने के शिवराज सरकार की घोषणा की पूर्व सैनिकों ने खोली पोल, कहा बीते दो महीने से आंदोलन को हैं मजबूर, दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते 1999 से मिले आरक्षण का लाभ भी नहीं दे रही शिवराज सरकार

Updated: Jun 18, 2022, 06:01 AM IST

Image Courtesy: Patrika
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भोपाल। अग्निपथ स्कीम के खिलाफ चौथे दिन भी देश के अनेक राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। बिहार से उठी चिन्गारी ने देश के अनेक राज्यों में युवाओं के गुस्से में उबाल ला दिया है। सरकार द्वारा अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में दस लाख ठेके की नौकरी युवाओं को रास नहीं आ रही है। इस स्कीम का विरोध मध्य प्रदेश में भी हो रहा है। ग्वालियर और इंदौर में अग्निपथ स्कीम का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव और ट्रेनों की आवाजाही में रुकावट पैदा की है। विरोध की आग को ठंडा करने के लिए शिवराज सरकार ने अग्निवीरों को आरक्षण देने का ऐलान किया लेकिन इसकी पोल खुद पूर्व सैनिकों ने खोल दी है।  

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अग्निवीरों को पुलिस में आरक्षण देने की घोषणा के बाद भी प्रदर्शनकारी युवाओं को न तो भरोसा मिल रहा है और न ही विरोध शांत हो रहा है। वजह है पूर्व सैनिकों का अनुभव जो बीते दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। शिवराज के इस घोषणा पर पूर्व सैनिकों ने न सिर्फ प्रश्न चिन्ह लगाया है बल्कि कोर्ट के आदेशों का हवाला भी दिया है।

पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में वर्ष 1999 में पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग में मिले तमाम रिलेक्सेशन पर शिवराज सरकार ने इसी साल अप्रैल में रोक लगा दी है। इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार और MPPSC को नोटिस भी जारी हो चुकी है। 

पूर्व सैनिकों का दावा है कि अगर सरकार की मंशा साफ थी तो हाल में 6000 पुलिस भर्ती परीक्षा में नियम के मुताबिक 600 सीट उनके लिए रिजर्व होनी चाहिए थी। लेकिन आवेदन के बावजूद सरकार ने तवज्जो नहीं दी जिसे पूर्व सैनिक राज्य सरकार की वादाखिलाफी मानते हैं और इसके विरोध में दो महीने से आंदोलन भी कर रहे हैं। पूर्व सैनिकों के वकील ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने RTI के हवाले से पता किया तो सिर्फ 6 पूर्व सैनिकों को पुलिस भर्ती में जगह मिली, जबकि नियम के मुताबिक 3000 पूर्व सैनिकों को नौकरी का लाभ मिलना चाहिए था। सरकार बिना पुराने ऑर्डर को रद्द किए यह नहीं कर सकती, इसके लिए उन्हें सरकारी आदेश निकालकर सुविधा रद्द करने की नोटिस देनी चाहिए थी। 

सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों का कहना है कि उन्हें पुलिस की ग्रुप सी की भर्ती में 10 फीसदी और ग्रुप डी की भर्ती में 20 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता रहा है। यही नहीं उन्हें इंडस्ट्रियल प्लॉट और सस्ती दुकानों के लिए भी छूट मिलती रही है, मगर शिवराज सरकार से उन्हें कोई भी राहत नहीं मिल रही है। 1999 से चले आ रहे आरक्षण का लाभ शिवराज सरकार ने रोक दिया है। यहां तक कि गृह मंत्री भी इस बात करने को तैयार नहीं हैं।

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मध्य प्रदेश सरकार के इसी रवैय्ये के चलते युवाओं को उसकी घोषणाओं पर यकीन नहीं हो रहा है। फिलहाल सरकार विरोध रोकने के लिए हर उपाय कर रही है। स्थानीय आर्मी कोचिंग सेंटर से लेकर युवाओं को प्रलोभन तक के सभी हथियार अपनाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सीएम ने अग्निवीरों को रिटारमेंट के बाद पुलिस भर्ती में दस फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है।