मप्र की चारों ‘धानी’ की सेहत बिगड़ी

कोरोना ने मप्र के उन चार बड़े शहरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है जो यहां की गतिविधियों की धुरी हैं।

Publish: Apr 29, 2020, 10:53 PM IST

कोरोना देश भर में तेजी से फैल रहा है मगर मप्र से मिल रहे आंकड़ें सभी को चिंता में डाले हुए हैं। प्रदेश लंबे समय से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में देश में चौथे नंबर पर बना हुआ है। कुछ समय तक जरूर यह पांचवें नंबर पर रहा। संक्रमित मरीजों की मौतों के मामले में देश में प्रदेश का स्थान तीसरे नंबर पर है। मगर बात इतनी ही नहीं है। कोरोना ने मप्र के उन चार बड़े शहरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है जो यहां की गतिविधियों की धुरी हैं। यहां की आर्थिक राजधानी इंदौर, आध्‍यात्मिक राजधानी उज्‍जैन, संस्‍कारधानी जबलपुर और सियासी (प्रशासनिक) राजधानी भोपाल की सेहत चिंताजनक स्‍तर तक बिगड़ गई है। अपनी अलग पहचान के लिए चर्चित इन चारों ‘धानियों’ में कोरोना भी अपने अलग-अलग रूप में मौजूद है। इसी कारण इंदौर, भोपाल और उज्‍जैन को टोटल सील करना पड़ा था। इन शहरों में स्थिति अभी भी विस्‍फोटक हालत में है और यहां की रिकवरी पर ही भविष्‍य में मप्र की ‘सेहत’ में सुधार निर्भर करेगा।

  • आर्थिक राजधानी इंदौर :   1466 पॉजिटिव, 65 मौत
  • आध्‍यात्मिक राजधानी उज्‍जैन : 127 पॉजिटिव, 23 मौत
  • संस्‍कारधानी जबलपुर : 76 पॉजिटिव, 1 मौत
  • प्रशासनिक राजधानी भोपाल : 458 पॉजिटिव, 13 मौत

इंदौर : सबसे ज्‍यादा केस, ज्‍यादा मौत भी

आर्थिक राजधानी होने के नाते इंदौर का प्रदेश में बहुत अहम् स्‍थान है। यहां कोरोना उतने ही भयावह रूप में फैल चुका है। मंगलवार रात को जारी स्‍वास्‍थ्‍य बुलेटिन के अनुसार मप्र में कुल 2481 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। सबसे ज्‍यादा संक्रमित 1466 पॉजिटिव केस इंदौर में हैं। प्रदेश में सबसे ज्‍यादा मृत्‍यु भी इंदौर में ही हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां प्रदेश में सबसे ज्‍यादा 65 लोगों की मृत्‍यु हुई है। चिकित्‍सा जगत के सूत्रों की माने तो यहां कोरोनासे मृत्‍यु इस आंकड़ें से कहीं ज्‍यादा हुई है। सरकारी आंकड़ों में भी यहां की मृत्‍यु दर 16 फीसदी है जो राष्‍ट्रीय औसत 2 से आठ गुना अधिक है। इंदौर का कोरोना हॉटस्पॉट बनना केंद्र सरकार को भी परेशानी में डाले हुए है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने इंदौर के लिये एक केंद्रीय दल भी भेजा था ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सकें। इंदौर में 24 मार्च को 4 केस सामने आए थे। 20 दिन में कोरोना मरीजों की संख्या 4 से बढ़कर 900 तक पहुंच गई। केंद्र की टीम यह जांच करने पहुंची है कि आखिर इंदौर प्रशासन ने कहां गलती कर दी? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय टीम ने जांच में पाया है कि संक्रमण में तेजी से फैलाव का मुख्य कारण लॉकडाउन का सख्ती से पालन नहीं होना है। शुरुआत में इंदौर के लोगों ने सोचा नहीं कि यहां कोरोना फैल सकता है। लॉकडाउन के नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया। वायरस शहर में पहुंच चुका था और फैलता रहा। यह वही शहर है जहां जनता कर्फ्यू वाली शाम को लोग नारे लगाते हुए जुलूस की शक्‍ल में सड़क पर उतर आए थे।

सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे चिकित्‍सक डॉ. आनंद राय ने ट्वीट कर इंदौर की गंभीरता को दिखाया है। उन्‍होंने कहा है कि भोपाल में रिकवरी रेट 30% है वही इंदौर में मात्र 10%,आज भी 100 में से 90 मरीज अस्पतालों में जीवन मौत से जूझ रहे है।

 

उज्‍जैन : ‘रूस्‍तम’ जैसा छिपा हुआ खतरा

मुहावरों में अचानक सामने आए मामले को छिपा रूस्‍तम कहा जाता है। उज्‍जैन में कोरोना का प्रसार भी छिपे रूस्‍तम की तरह ही हुआ। यहां 20 अप्रैल तक 31 पॉजिटिव थे मगर आठ ही दिनों में 28 अप्रैल को संख्‍या बढ़ कर 123 हो गई। यहां अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें एक टीआई भी शामिल है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिले में संक्रमितों की संख्‍या 127 तथा मृतकों की संख्‍या 23 हो गई है। 127 में से 23 लोगों की मौत देश में कोरोना से मौत की सबसे अधिक दर है। 60 किलो मीटर क्षेत्र में देवास, इंदौर में कोरोना संक्रमण की अधिक रफ्तार के कारण भी उज्‍जैन के आंकड़ें चिंता बढ़ाते हैं। देवास में 23 संक्रमित हैं तथा यहां 7 लोगों की मौत हो चुकी है।

जबलपुर : स्थिति नियंत्रण में लेकिन तनावपूर्ण

नर्मदा तट पर स्थि‍त संस्‍कारधानी जबलपुर में अभी कुल 70 संक्रमित हैं। मीडिया रिपोर्ट्स 76 लोगों को पॉजिटिव बता रही हैं। यहां भी एक आईपीएस के संक्रमित पाए जाने के बाद 28 अप्रैल को एक तहसीलदार की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रदेश में कोरोना फैलने की शुरुआत जबलपुर से हुई थी। प्रदेश में सबसे पहले 4 केस जबलपुर में 20 मार्च को आए थे। दुबई से लौटे सराफा व्यापारी मुकेश अग्रवाल और उनकी पत्नी पहले पॉजिटिव थे जिन्‍होंने कोरोना को हराने में सफलता हासिल की है। उनके साथ ही स्विटजरलैंड से लौटे उपनिषद शर्मा स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं। जबलपुर जिला प्रशासन ने 4 मरीजों के पॉजिटिव पाए जाने पर 21 मार्च से की कर्फ्यू लगा दिया गया था। प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में रखे हुए हैं मगर कोरोना जांच के एकमात्र केंद्र एनआईआरटीएच में भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट 2-3 दिन में भी नहीं मिल पा रही है। जांच केंद्र में संसाधन की कमी है। देरी से रिपोर्ट जारी होने के कारण कोरोना पॉजिटिव मिल रहे मरीज रिपोर्ट जारी होने से पहले कई लोगों के संपर्क में आकर खतरे को कई गुना बढ़ा रहे हैं।  एनआईआरटीएच पर सिर्फ जबलपुर नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों से कोरोना संदिग्धों के सैंपल भेजे जा रहे हैं। यही वजह है कि जबलपुर के सैंपलों का बैकलॉग कोटा बढ़ता जा रहा है। यानि, जांच में जितनी देरी खतरा उतना बड़ा।

भोपाल : स्‍वास्‍थ्‍य और पुलिस का अमला चपेट में

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भोपाल में 458 संक्रमित हैं और 13 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना का संक्रमण सबसे ज्यादा उस स्वास्थ्य विभाग में फैला जहां का स्टाफ कोरोना मरीजों की देखभाल कर रहा है। पुलिस विभाग दूसरे नंबर पर आ गया था। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के करीब 110 अधिकारी, कर्मचारी, 50 जमाती और पुलिस विभाग के करीब 35 कर्मचारी संक्रमित हैं। यहां सबसे पहले स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में ही पदस्‍थ आईएएस विजय कुमार पॉजिटिव पाए गए। फिर विभाग की प्रमुख सचिव पल्‍लवी जैन गोविल, सहायक संचालक डॉ. वीणा सिन्‍हा के अलावा दो अन्‍य आईएएस भी संक्रमण की चपेट में आए। पहले संक्रमित हुए आईएएस ने अपनी विदेश यात्रा और बेटी के विदेश से आने की बात छिपाई थी।