भारी पड़ी लापरवाही... झाबुआ, नीमच में भी पॉजिटिव
कोविद परीक्षणों के बिना प्रवासियों के परिवहन का सरकार का कदम बहुत गैर जिम्मेदाराना है।

इंदौर, भोपाल, उज्जैन जैसे जिले देखते ही देखते कोरोना हॉट स्पॉट बन गए हैं। इनसे सबक लेते हुए अन्य जिलों में भी कोरोना का प्रसार रोकने के लिए सख्ती की गई मगर लॉकडाउन 3.0 की शुरुआत में की गई लापरवाहियां भारी पड़ रही है। एमपी के उन जिलों में भी कोरोना पहुंच गया है जो स्वयं के ग्रीन जोन में होने का जश्न मना रहे थे।
बुधवार को झाबुआ में कोरोना का पहला केस सामने आया। यहां की प्रमुख औद्योगिक तहसील पेटलावद में आए 19 श्रमिकों की जांच रिपोर्ट आने पर पाया गया कि महिला सहित 2 श्रमिक कोरोना पॉजिटिव हैं। पेटलावद ब्लॉक के नाहरपुरा ग्राम की 29 वर्षीय महिला 29 अप्रैल को नीमच से मजदूरों को लेकर आई बस में सवार थी। अब प्रशासन ने उनके गांव को सील कर ट्रेवल हिस्ट्री निकालना शुरू कर दिया है।
इसके पहले बीती रात नीमच शहर में 4 कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज मिले। इसके बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। नीमच से दाहोद गए 11 लोगों से 7 लोग वहीं कोरोना पॉजिटिव मिले थे। उन्हीं के परिवार के सदस्य यहां पॉजिटिव निकले हैं। देर रात कलेक्टर जितेंद्र सिंह राजे ने आपात बैठक बुलाई और शहरी क्षेत्र में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की।
झाबुआ और नीमच के पहले ग्रीन जोन वाला पन्ना भी कोरोना संक्रमित पाया गया। यहां दस लोगों के सेंपल जांच के लिए भेजे गये थे जिनमें से एक व्यक्ति में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके प्रशासन ने सख्त कदम उठाए।
यदि प्रशासन समय रहते सख्त कदम उठाता तथा श्रमिकों को बिना किसी जांच के प्रवेश नहीं करने दिया जाता तो ग्रीन जोन वाले जिलों में संक्रमण नहीं फैलता। गौरतलब है कि ग्रीन ज़ोन उस जिले को कहा जाता है, जहां या तो कोई केस नहीं है या बीते 21 दोनों के दौरान कोई मामला सामने नहीं आया है। अगर किसी ऑरेंज ज़ोन इलाके में 21 दिनों तक कोविड 19 का केस दर्ज नहीं होता तो उसे ग्रीन ज़ोन में रखा जा सकता है। देश में बीते दो हफ्तों के दौरान रेड ज़ोन की संख्या घटी है तो साथ ही ग्रीन ज़ोन वाले इलाकों का आंकड़ा भी कम हुआ है। देश में 170 जिले रेड ज़ोन में थे जो अब घटकर 130 हो गए हैं। ग्रीन ज़ोन क़ई संख्या 16 अप्रैल को 359 थी जो अब 319 हो गई है।
सरकार की इस लापरवाही पर केरल के वित्तमंत्री टीएस थॉमस इसाक ने ट्वीट किया है। इसाक ने कहा कि कोविद परीक्षणों के बिना प्रवासियों के परिवहन का केंद्र सरकार का कदम बहुत गैर जिम्मेदाराना है। इससे बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल सकता है। उड़ान या जहाज में किसी भी एक पॉजिटिव व्यक्ति की मौजदूगी सभी यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता होगा।
The move of the Central Government to transport expatriates without Covid tests is highly irresponsible and can stoke massive spread. Safety of everyone in the flight or ship is compromised by the presence of one or two infected among the passengers.
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) May 5, 2020