भिंड में कबाड़ में बिकने लगे उज्ज्वला योजना के सिलेंडर, लकड़ी के चूल्हों पर खाना बनाने लगे लोग

दावे के मुताबिक बड़ी तादाद में लोगों ने सिलेंडर भरवाना छोड़ दिया है, उज्ज्वला योजना के 70 फीसदी लाभार्थी दोबारा सिलेंडर भरवाने नहीं आ रहे हैं

Updated: Oct 23, 2021, 06:51 AM IST

भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले की एक तस्वीर ने केंद्र सरकार के उज्ज्वला योजना की पोल खोलकर रख दी है। भिंड जिले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तैर रही है जिसमें उज्ज्वला योजना के तहत मिले सिलेंडर कबाड़ में पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। सिलेंडर के दाम अधिक होने की वजह से लोगों ने अब वापस गोबर के कंडे और लकड़ी के चूल्हों पर खाना बनाना शुरू कर दिया है। 

कबाड़ में बिक रहे सिलेंडर का वीडियो पूर्व सीएम कमल नाथ ने भी साझा किया है। कमल नाथ ने उज्ज्वला योजना की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि यह दृश्य उस राज्य का है जहां देश के गृह मंत्री अमित शाह ने उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की थी। 

कमल नाथ ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि मध्यप्रदेश के भिंड में इस तरह कबाड़ में बिक रहे है मोदी सरकार की सबसे ज़्यादा प्रचार-प्रसार वाली वाली उज्ज्वला योजना के गैस सिलेंडर और चूल्हे भूसे के ढेर में पड़े हैं।यह स्थिति उस प्रदेश की है जहाँ के जबलपुर में देश के गृहमंत्री ने उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भिंड में बड़ी तादाद में योजना के लाभार्थियों ने अब सिलेंडर भरवाना छोड़ दिया है। दावे के मुताबिक जिले के करीब 70 फीसदी लाभार्थी ने सिलेंडर भरवाना छोड़ दिया है। इस समय एक सिलेंडर 925 रुपए से 1050 रुपए तक बिक रहा है। यही वजह है कि लोग उज्ज्वला योजना के अंतर्गत सिलेंडर भरवाने में सक्षम नहीं हैं। 

कबाड़ में बिक रहे सिलेंडर को लेकर भिंड के जिला आपूर्ति अधिकारी अवधेश पांडे का एक बयान मीडिया में सामने आया है। अवधेश पांडे ने मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करने की बात कही है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि आखिर जिले में कितने लाभार्थियों ने अपना गैस कनेक्शन लौटा दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भिंड जिले में दो लाख 76 हजार लोगों के पास गैस के कनेक्शन हैं। इनमें एक लाख 33 हजार कनेक्शन उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के हैं। उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण में जिले में करीब नौ लाख कनेक्शन दिए जाने हैं। प्रशासन के दावे के मुताबिक 77 फीसदी लोगों को कनेक्शन दिया जा चुका है। 

उज्ज्वला योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी। योजना के तहत बीपीएल कार्डधारक महिलाओं को निशुल्क गैस कनेक्शन से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। ताकि महिलाओं को धुएं से आजादी दिलाई जा सके। लेकिन मध्य प्रदेश में कबाड़ में पड़े सिलेंडरों की तस्वीर कोई और ही कहानी बयां कर रही है, जो सरकारी योजना से लोगों तक पहुंचने वाले लाभ के दावों से पर्दा उठा रही है।