फर्शी पत्थर खदान मज़दूरों के बीच पहुँचे दिग्विजय सिंह, सहकारी श्रमिक संस्था को बंद करने से संकट में मज़दूर

नीमच दौरे के दौरान अनुसूचित जाति के मजदूरों से मिले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, मजदूरों ने बताई समस्या, सीएम चौहान को पत्र लिखकर पहले ही कर चुके हैं मज़दूरों की मदद की माँग, फर्शी पत्थर खदान बंद होने से सैंकड़ों मजदूर परिवारों के सामने रोजगार का संकट

Updated: Apr 26, 2022, 06:12 AM IST

नीमच। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह नीमच दौरे पर हैं। सोमवार शाम उन्होंने यहां मोड़ी जावद में दलित परिवार के यहां भोजन और रात्रि विश्राम किया। इस दौरान उन्होंने आसपास के इलाकों में रहने वाले मजदूरों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जाना। इससे पहले कांग्रेस नेता ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मजदूरों की समस्याओं से अवगत कराते हुए मांग की और कहा कि दो वर्षों से बंद फर्शी पत्थर खदान दोबारा शुरू किया जाए।

सीएम को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि, 'नीमच जिले की तहसील जावद अंतर्गत ग्राम सुवाखेड़ा स्थित खनिज फर्शी पत्थर खान पर खनिज विभाग द्वारा रोक लगाने से सैकड़ों मजदूर परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। इस मामले में शासन स्तर से हस्तक्षेप कर खदान तत्काल प्रारंभ की जानी चाहिए।' उन्होंने बताया कि जब वे मुख्यमंत्री थे तब साल 1998 में सुवाखेड़ा क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 117 हेक्टेयर जमीन फर्शी पत्थर उत्खनन के लिये इंदिरा पत्थर श्रमिक सहकारी सोसायटी को आवंटित की गई थी। 

राज्यसभा सांसद ने बताया कि श्रमिक वर्ग में सहकारिता की भावना के अनुरूप स्वतः खदान चलाने के लिये पहले सहकारी समिति गठित कराई गई और 25 वर्ष के लिये 117 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। सहकारिता क्षेत्र में किया गया यह प्रयोग बहुत सफल रहा। सैकड़ों मजदूर परिवारों ने मिलकर यह पत्थर खदान चलाई और प्रति वर्ष आपस में लाभांश वितरित किया। लेकिन कोरोना काल के दौरान सहकारी समिति खदान में पत्थर होने के बाद भी बिक्री कमजोर होने से खनिज विभाग को समय पर अनिवार्य भाटक जमा नहीं कर सकी। 

यह भी पढ़ें: किस्सा ए लाल किला: यानी राजतंत्र से लोकतंत्र तक सफर

सिंह ने लिखा कि इस बीच खनिज विभाग ने फर्शी पत्थर के साथ-साथ खण्डा, गिट्टी और डस्ट जैसे खनिजों का आंकलन कर समिति से 5 करोड़ 31 लाख रूपये जमा करने के लिये नोटिस जारी कर दिया। कोरोना काल में शासन ने सभी तरह के व्यवसायों को बकाया जमा करने की रियायतें दी थी। लेकिन श्रमिकों की इस सहकारी समिति को कोई रियायत नही दी गई। जबकि समिति ने 24 जनवरी 2022 को पत्र लिखकर शेष अनिवार्य भाटक एक करोड़ 77 लाख रूपये दो किश्तों में जमा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। 

कांग्रेस नेता के मुताबिक सहकारी क्षेत्र की इस श्रमिक संस्था को दो किश्तों में बकाया जमा करने की मोहलत देने की जगह खनिज विभाग ने ई-पोर्टल पर समिति का नाम ही ब्लॉक कर दिया। जिससे रायल्टी की  टी.पी. बनना बंद हो गई। विभाग और शासन स्तर पर जब सुनवाई नही हुई तो सहकारी समिति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां से समिति के पक्ष में फैसला आया और न्यायालय ने समिति से 2 किश्तों में बकाया जमा कराने का निर्णय सुनाया। 

राज्यसभा सांसद ने पत्र में आगे लिखा है कि, 'समिति ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा कि फर्शी खदान बंद होने से सैकड़ों मजदूर परिवारों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उनका लाखों रूपयें का पत्थर खदान में है और चोरी की स्थिति बन रही है। कोर्ट के निर्णय के बाद भी खनिज विभाग ने ई-पोर्टल पर समिति की ई.टी.पी. विंडो अभी तक नही खोली है।'

उन्होंने सीएम से निवेदन करते हुए कहा है कि यह प्रकरण नीमच जिले के ग्राम सुवाखेड़ा, कुण्डला और खेडाराठौर सहित आसपास के अंचल में रहने वाले गरीब मजदूर परिवारों से जुड़ा है। जहां 117 हेक्टेयर में संचालित फर्शी पत्थर खदान से आसपास के हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। जिन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिल रहा है। उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप शासन स्तर से निर्णय लेकर गरीब, श्रमिक और मजदूरों के पक्ष में फर्शी खदान तत्काल प्रारंभ कराने के निर्देश दें।

श्रमिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने और देश के हालात से निपटने के लिए उन्होंने सुबह उस इलाके में जनजागरूकता यात्रा भी निकाली, जिसमें सैकड़ों की तादाद में मजदूर शामिल हुए। इससे पहले स्थानीय गांव मौड़ी में उन्होंने अनुसूचित जाति के एक परिवार के घर रात बितायी और उनका हाल जाना।