कोरोना के खिलाफ लड़ाई में गाडरवारा विधायक सुनीता पटेल ने समर्पित किया पारिवारिक कॉम्प्लेक्स

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिला अंतर्गत गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सुनीता पटेल ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जनप्रतिनिधियों के लिए पेश की मिसाल, 10 लाख रुपए विधायक निधि से की प्रस्तावित

Updated: Apr 11, 2021, 03:51 PM IST

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश कांग्रेस की विधायक सुनीता पटेल ने वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कई अहम एलान किए हैं। नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र की विधायक पटेल ने अपने पारिवारिक कॉम्प्लेक्स को नवीन कोविड-19 केयर सेंटर खोलने के लिए समर्पित कर दिया है। इस संकट काल में जब मध्यप्रदेश बुरी तरह से कोरोना से जूझ रहा है ऐसे में गाडरवारा विधायक के इस फैसले को जनप्रतिनिधियों के लिए एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक सुनीता का यह पारिवारिक कॉम्प्लेक्स गाडरवारा सोयाबीन प्लांट के सामने स्थित है। उन्होंने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग कभी भी जरूरत पड़ने पर उसमें कोविड-19 केयर सेंटर खोल सकता है। इसके लिए वह एक भी रुपए किराया चार्ज नहीं करेंगी, बल्कि क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए उन्होंने मुफ्त में अपना कॉम्प्लेक्स स्वास्थ्य विभाग को समर्पित कर दिया है।

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इतना ही नहीं सुनीता पटेल ने अपने विधायक निधि से गाडरवारा के शासकीय अस्पताल में कोरोना प्रबंधन हेतु 10 लाख रुपए भी प्रस्तावित किए हैं। इस राशि से शासकीय अस्पताल में कोरोना संबंधी उपक्रम खरीदे जाएंगे। पटेल ने जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन को कॉम्प्लेक्स और विधायक निधि की रकम से पैसे देने की जानकारी दे दी है। गाडरवारा विधायक के इस फैसले का चौतरफा स्वागत किया जा रहा है वहीं लोग अन्य जनप्रतिनिधियों को भी उनसे सीख लेने की बातें कर रहे हैं।

पेशे से किसान सुनीता पटेल साल 2018 में पहली बार विधानसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं थी। आमतौर पर मीडिया और अत्याधिक बयानबाजी से दूर रहने वाली सुनीता पटेल बीते दिनों तब सुर्खियों में आईं थी जब पिछले साल उन्होंने राजधानी भोपाल में नरसिंहपुर के एडिशनल एसपी राजेश तिवारी को हटाने के लिए सत्याग्रह किया था। 

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तत्कालीन एएसपी तिवारी पर इलाके में अवैध रेत खनन और शराब माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप था। कांग्रेस की महिला विधायक का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह और चौतरफा दबाव के बाद आखिरकार राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को उनकी मांगों को मंजूर करना पड़ा था। इसके बाद तिवारी को नरसिंहपुर से स्थानांतरित कर पुलिस हेडक्वार्टर भोपाल अटैच कर दिया गया था।