50 करोड़ की अवैध वसूली, CBI को बीजेपी मंत्री के खिलाफ शिकायत भेजने वाला कर्मचारी लापता

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पीए ने ही मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और कमिश्नर के खिलाफ की थी शिकायत, परिवहन नाकों से 50 करोड़ की वसूली का दावा, अब शिकायतकर्ता को ढूँढ रही है पुलिस

Updated: Apr 18, 2022, 11:56 AM IST

ग्वालियर। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मुकेश जैन द्वारा कथित रूप से करोड़ों की अवैध उगाही मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मंत्री और कमिश्नर के खिलाफ ये शिकायतें खुद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के PA सत्यप्रकाश शर्मा ने ही करवाई थी। मामला सामने आने के बाद से सत्यप्रकाश शर्मा लापता हैं।

जानकारी के मुताबिक शर्मा ने अपने ड्राइवर अजय सालुंके के जरिए ग्वालियर के एक पत्रकार के नाम से सीएम शिवराज, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई लोगों को लिफाफे में स्पीड पोस्ट करके शिकायतें भेजीं। जिसमें उन्होंने प्रदेश के टोल नाकों पर 50 करोड़ की अवैध वसूली का आरोप लगाया। हालांकि, उन्होंने लिफाफे पर ग्वालियर के पत्रकार धर्मवीर कुशवाह का नाम और मोबाइल नंबर लिख दिया था।

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बीते 4 अप्रैल को जब धर्मवीर के मोबाइल पर स्पीड पोस्ट बुक करने के 9 मैसेज आए तो वह दंग रह गए। चूंकि, उन्होंने कोई भी स्पीडपोस्ट नहीं की थी तो हैरान परेशान धर्मवीर ने कनसाइनमेंट नंबर लेकर ट्रैक किया। इस ट्रैकिंग में खुलासा हुआ कि किसी ने उनके नाम से डाकघर काउंटर स्टेशन से पार्सल बुक किया है। इसके बाद वह डाकघर पहुंचे और बताया कि उनके पास मैसेज आए हैं, जबकि यह स्पीडपोस्ट उन्होंने नहीं किया। आवेदन देकर सभी स्पीडपोस्ट को रिकॉल कराया या तो कहानी कुछ और ही सामने आयी। एक के बाद एक 6 लिफाफे धर्मवीर के नाम और घर के पते से भेजे गए थे। जिसमें तीन वापस आे तो तीन अपने गंतव्य तक पहुंच गए थे।

धर्मवीर ने जब उन लिफाफों को खोलकर देखा तो अंदर चौंकानेवाली जानकारी मिली। इसमें परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें की गयी थीं। परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त की शिकायतों के लिफाफे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, रजिस्ट्रार हाईकोर्ट, CBI, भाजपा संगठन मंत्री, महानिदेशक लोकायुक्त सहित अन्य स्थानों पर भेजे गे थे।

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मामला सामने आने के बाद पुलिस ने सत्यप्रकाश के खिलाफ एफआईआर दर्जकर छानबीन शुरू कर दी है। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने एक पत्रकार के नाम का दुरुपयोग करते हुए शिकायतें भेजीं। शर्मा फिलहाल अंडरग्राउंड हैं लेकिन उनका ड्राइवर जो स्पीडपोस्ट करने गया था वह पुलिस की गिरफ्त में है। उसने बताया कि वह सत्यप्रकाश शर्मा के कहने पर लिफाफा पोस्ट करने गया था। अजय के मुताबिक इससे पहले भी शर्मा इसी तरह के कई लिफाफे भेज चुके हैं।

बहरहाल, यह मामला सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मसलन आखिर इस शिकायत में ऐसा क्या है जो पूरे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में हड़कंप मचा हुआ है? लिफाफे पर किसी दूसरे व्यक्ति का नाम लिख देना क्या इतना गंभीर अपराध है कि एक शासकीय कर्मचारी को गिरफ्तार करने के लिए पूरा तंत्र लग जाए? कोर्ट में आसानी से जमानत भी मिल सकती है बावजूद सत्यनारायण शर्मा अंडरग्राउंड क्यों हुए? क्या उन्हें किसी से जान का खतरा है?

हैरानी की बात यह है कि पुलिस व्हिसिलब्लोअर के पीछे हाथ धोकर पड़ी है, मगर उसके लगाए आरोपों पर किसी जांच की कोई पहल होती नहीं दिख रही है। गौरतलब है कि इससे पहले कमलनाथ सरकार में परिवहन आयुक्त रहे मधु कुमार को भी कुछ ऐसी ही शिकायतों के बाद पद छोड़ना पड़ा था।