MP के ऐतिहासिक डेली कॉलेज में तख्तापलट, दिग्विजय सिंह बोले- भगवान के लिए हमारे स्कूल को राजनीति से दूर रखें

डेली कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाने के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में तख्तापलट, नरेंद्र सिंह झाबुआ की जगह विक्रम सिंह पंवार बने अध्यक्ष, बीजेपी एमएलए राज्यवर्धन सिंह बने उपाध्यक्ष, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि डेली कॉलेज की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया

Updated: Apr 09, 2022, 04:35 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक डेली कॉलेज में राजनीतिक दखलंदाजी के बाद न सिर्फ प्रिंसिपल को हटाया गया, बल्कि बल्कि स्कूल के गवर्निंग बॉडी मीटिंग में घुसकर अध्यक्ष का तख्तापलट कर दिया गया। हालांकि, नाराज़ पार्टी ने इस मामले को कोर्ट तक ले जाने का दावा किया है। इस घटना को लेकर स्कूल के संरक्षक दिग्विजय सिंह सिंह ने गहरा दुख जताया है।सिंह ने कहा है कि भगवान के लिए हमारे स्कूल को राजनीति से दूर रखें।

साल 1870 में स्थापित विश्वविख्यात डेली कॉलेज का संचालन एमपी फर्म्स एंड सोसाइटी के नियमों के तहत किया जाता है। बताया जा रहा है कि कॉलेज के प्रिंसिपल नीरज बेढ़ोतिया जो मशहूर दून स्कूल के बेहतरीन टीचर और एडमिनिस्ट्रेटर रहे हैं, उन्हें बोर्ड के कुछ सदस्य पसंद नहीं करते थे। सख्त छवि के कारण वे राजनीतिक लोगों को भी खटकने लगे थे। बुधवार को सत्तारूढ़ दल बीजेपी से जुड़े बोर्ड मेंबर्स ने कुछ अन्य बोर्ड मेंबर्स की मिलीभगत से बोर्ड का तख्तापलट कर प्रिंसिपल को हटा दिया।

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सर्वप्रथम बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह झाबुआ को हटाया गया। उनके बेटे जय सिंह झाबुआ को भी पैनल से हटाया गया। तत्पश्चात नए बोर्ड का गठन किया गया और विक्रम सिंह पंवार को नया अध्यक्ष बनाया गया जबकि भाजपा विधायक राज्यवर्धन सिंह को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। धीरज लुल्ला, हरपाल सिंह भाटिया, सुमित चंडोक और संजय पाहवा बोर्ड के सदस्य बने। माना जा रहा है कि अब डेली कॉलेज के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भगवा पार्टी का दबदबा हो गया है।

नए बोर्ड के गठन होते ही बोर्ड ने कॉलेज के प्रिंसिपल नीरज सिंह बेढ़ोतिया का कार्यकाल बढ़ाने के बजाय गुरमीत कौर बिंद्रा को नया प्रिंसिपल बनाया गया। दरअसल, यह पूरी तख्तापलट ही प्रिंसिपल के पोस्ट को लेकर हुई है। कुछ बोर्ड मेंबर्स और राजनीतिक रसूखदारों ने प्रिंसिपल को त्यागपत्र देने की धमकी भी दी। लेकिन वे डटे रहे। जानकार बताते हैं कि नरेंद्र सिंह झाबुआ प्रिंसिपल बेधोटीया को हटाने के पक्ष में नहीं थे। इसीलिए बोर्ड में तख्तापलट करने की स्क्रिप्ट तैयार हुई और फिर नए प्रिंसिपल को लाया गया।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डेली कॉलेज की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया जा रहा है। सिंह ने कहा कि, 'डेली कॉलेज जैसी विश्व स्तरीय संस्था के नाम खराब होने पर मुझे दुख हो रहा है क्योंकि न केवल मैं बल्कि अब हमारी चौथी पीढ़ी इस स्कूल में पढ़ रही है और जिसका मैं संरक्षक हूं। सभी से मेरी अपील है कि भगवान के लिए राजनीति को हमारे स्कूल से बाहर रखें। 06 अप्रैल 2022 का दिन भारत के सबसे पुराने पब्लिक स्कूल में से एक डेली कॉलेज के इतिहास में काले दिवस के रूप में अंकित होगा जब पहली बार पुलिस के साथ सरकारी अधिकारी डेली कॉलेज परिसर में घुसे और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की विधिवत बैठक को बाधित किया।'

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सिंह ने कहा कि, 'SDM ने शासनादेश सौंपते हुए विधिवत रूप से निर्वाचित बोर्ड ऑफ गवर्नर के अध्यक्ष और एक सदस्य को बैठक छोड़ने के लिए विवश कर दिया। डेली कॉलेज में पढ़ने वाले दो छात्रों के माता-पिता को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सदस्य के रूप में सहयोजित किया जाता है, बशर्ते कि एक सहयोजित किया गया सदस्य केवल तब तक सदस्य रह सकता है जब तक छात्र कॉलेज में पढ़ रहा है। जय सिंह को सर्वसम्मति से बोर्ड द्वारा मूल श्रेणी में सहयोजित किया गया। उनका बेटा अभी भी डेली कॉलेज में पढ़ रहा है। वह या उसकी पत्नी डेली कॉलेज के स्टाफ में नहीं हैं न ही उन्हें बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में कोई वेतन मिल रहा है। ये मामले के खुले तथ्य हैं। फिर किस नियम के तहत रजिस्ट्रार फर्म और सोसायटी ने उपरोक्त आदेश जारी किया है? यह पूरी तरह से अवैध और राजनीति से प्रेरित आदेश है। मुझे यकीन है कि सही फोरम पर चुनौती दिए जाने पर इस अवैध आदेश को रद्द कर दिया जाएगा।'

दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि, '06 अप्रैल 2022 की बोर्ड की बैठक में पहले के एजेंडे को नजरअंदाज कर दिया गया। हमने हमेशा डेली कॉलेज परिसर को  राजनीति से बाहर रखी है। जहां तक डेली कॉलेज का सवाल है, हम सभी पुराने डेलियंस हैं और कांग्रेस या बीजेपी या किसी अन्य पार्टी से नहीं हैं। हमारे बीच हमेशा सौहार्द की भावना रही है। फिर निजी लाभ के लिए डेली कॉलेज के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए राजनीतिक शक्ति का दुरूपयोग क्यों किया गया? सरकार और जिला प्रशासन के इस गैर कानूनी कदम से डेली कॉलेज के मान गिरने से एक परिवार के ऐसे सदस्य के नाते जिसकी चार पीढ़ियों ने डेली कॉलेज में अध्ययन किया है और इस महान संस्थान के संरक्षक के रूप में आज मैं दुखी और निराश महसूस कर रहा हूं। इस कार्रवाई से डेली कॉलेज और उसके बोर्ड का नाम खराब हुआ है।'

सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुछा कि डेली स्कूल की गवर्निंग बॉडी पर की गई कार्रवाई किस लिए किया गया? प्रतिष्ठा? अहंकार? वित्तीय लाभ? व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं? राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं? आखिर किस लिए ये षड्यंत किया गया? मुझे खेद है कि डैली कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान का नाम और प्रतिष्ठा हम सभी डैली कॉलेज के पुराने डेलियन, माता-पिता और शुभचिंतक के लिए सबसे ऊपर होनी चाहिए थी।' सिंह ने अपील करते हुए कहा कि जो लोग डेली कॉलेज स्कूल के प्रति प्यार और स्नेह रखते हैं, वे डेली कॉलेज को राजनीति का अखाड़ा बनने न दें। उन्होंने कहा कि आप सब डिनर पर साथ बैठिए और अपने मतभेदों को सुलझाएं लेकिन भगवान के लिए व्यक्तिगत लाभ के लिए 150 साल से अधिक की संस्था की प्रतिष्ठा को खराब मत कीजिए।

दरअसल कुछ वर्षों से डेली कॉलेज को बदनाम करने के अनेक प्रयास चल रहे थे। बाहरी दखलंदाज़ी और एडमिशन को लेकर उठते सवालों को प्रिसिंपल ने कंट्रोल करने की कोशिश की तो बोर्ड मेंबर्स ने उन्हें ही किनारे लगाने की तैयारी कर ली। पहले तो उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए तरह तरह के दबाव बनाए गए। फिर उनकी पत्नी जो कि इसी स्कूल में शिक्षक थी, उन्हें हटाने का प्रस्ताव दिया गया और फिर राजनीतिक साजिश बेनकाब हो गई, जब भरी गवर्निंग बॉडी मीटिंग में पुलिस ने आकर बोर्ड के अध्यक्ष को ही पद से हटाने का नोटिस दे दिया। यह लड़ाई अब शायद कोर्ट में लड़ी जाए लेकिन वहां पढ़नेवाले छात्र छात्राओं का भविष्य इससे जरूर प्रभावित होगा।