खंडवा: 24 दिनों से अनशन पर बैठी सफाईकर्मी रंजीता चौहान को जबरन अस्पताल ले गई पुलिस
सफाई कर्मचारी अपना हक माँग रहे है कोई भीख नहीं। याद रखना मुख्यमंत्री जी, भाजपा की इस तानाशाही का जवाब मध्य प्रदेश की जनता 2023 में वोट से देगी: भीम आर्मी चीफ

खंडवा। मध्य प्रदेश का खंडवा का शहर सफाई में बेहतर रेटिंग के लिए मशहूर है, लेकिन बीते कुछ समय से खंडवा सफाई कर्मचारियों के प्रदर्शन और भूख हड़ताल के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। नगर निगम के सफाई कर्मी अपनी मांगों को लेकर पिछले 24 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही रंजीता चौहान को गुरुवार को पुलिस बलपूर्वक उठा ले गई और जबरन अस्पताल में भर्ती करा दिया।
महिला सफाईकर्मी रंजीता चौहान ने वीडियो जारी कर बताया है कि किस तरह पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराया है। हालांकि, उन्होंने किसी तरह का इलाज लेने से साफ इनकार कर दिया है। साथ ही कहा है कि अस्पताल में भी वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगी, उनका भूख हड़ताल जारी रहेगा। रंजीता चौहान के मुताबिक पुलिस ने निगम दफ्तर के बाहर धरनास्थल पर लगे टेंट को उखाड़ फेंका है।
प्रदर्शनकारी सफाईकर्मियों का भीम आर्मी ने समर्थन किया है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट किया, "मुख्यमंत्री जी आप हमारी बहनों का दर्द तो सुन नहीं सकते है और ढिंढोरा पीट रहे हो "लाड़ली बहना योजना" का। मध्य प्रदेश पुलिस ने भाजपा सरकार के आदेश पर बलपूर्वक 24 दिन से आमरण अनशन पर बैठी हमारी क्रांतिकारी बहन रंजिता चौहान को हटाया। बहन रंजीता व उनके साथी अभी भी अनशन पर हैं अगर बहन को कुछ भी हुआ तो इसकी जिम्मेदार मध्य प्रदेश सरकार होगी। सफाई कर्मचारी अपना हक माँग रहे है कोई भीख नहीं। याद रखना मुख्यमंत्री जी, भाजपा की इस तानाशाही का जवाब मध्य प्रदेश की जनता 2023 में वोट से देगी।"
मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj जी आप हमारी बहनों का दर्द तो सुन नहीं सकते है और ढिंढोरा पीट रहे हो "लाड़ली बहना योजना" का!
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) August 3, 2023
मध्यप्रदेश पुलिस ने भाजपा सरकार के आदेश पर बलपूर्वक 24 दिन से आमरण अनशन पर बैठी हमारी क्रांतिकारी बहन रंजिता चौहान को हटाया !!
बहन रंजीता व उनके साथी अभी भी… pic.twitter.com/jsEZGlPr5P
रिपोर्ट्स के मुताबिक खंडवा नगर निगम के करीब 400 से 500 सफाई कामगार अनियमित हैं। वे तीन सूत्रीय मांगों को लेकर भूख हड़ताल कर रहे हैं। सफाईकर्मियों की मांग है नगर निगम विनियमतिकरण समाप्त कर स्थायी करने, ठेका प्रथा समाप्त करने व आवासों का मालिकाना हक उन्हें दे। इन सफाईकर्मियों को 7 हजार से 11 हजार तक भुगतान नगर निगम करता है। यह सभी अस्थाई कर्मचारी है।
इन्हें रहने के लिए भी सालों पहले निगम ने पट्टा दिया था, आरोप है कि अब उसे सरकारी ज़मीन बताकर वापस लेने की कवायद शुरू कर दी गई है।
सफाई कर्मियों की मानें तो इन्हें पीएफ यानी कर्मचारी प्रोवीडेंट फंड की सुविधा भी नहीं मिलती क्योंकि इनकी तनख्वाह ही समय से नहीं आती, कभी महीने की 14-15 तारीख तो कभी उससे भी देर। ऐसे में आउटसोर्सिंग कंपनियां नियमित समय से सैलरी न आने का बहाना देकर इनका पीएफ भी नहीं जमा करतीं। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही रंजीता चौहान का कहना है कि, 'जब तक निगम प्रशासन और सरकार उनकी मांग नहीं मानते उनका आंदोलन जारी रहेगा। रंजीता ने बताया कि जो लोग शहर को साफ रखने में जी जान लगा देते है। उन्हें पक्की नौकरी का अधिकार होना चाहिए।'