मध्य प्रदेश में करोड़ों का शराब घोटाला, ED ने खोली 7 साल पुरानी फाइल

इंदौर में साल 2018 में सामने आए शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुरू कर दी है। यह घोटाला 42 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है।

Updated: Jul 01, 2024, 10:51 AM IST

इंदौर। दिल्ली के बाद अब मध्य प्रदेश में शराब घोटाले को लेकर सियासत तेज होने के आसार हैं। दरअसल, ED ने शराब घोटाले से जुड़ी 7 साल पूर्व के इस घोटाले की जांच शुरू कर दी है। शिवराज सरकार के दौरान हुई इस घोटाले में 42 करोड़ रुपए से अधिक के भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ED ने आबकारी कमिश्नर कार्यालय से इस घोटाले से जुड़ी जानकारी मांगी है।

दरअसल, साल 2015-2018 के बीच इंदौर के जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए 194 फर्जी बैंक चालान इस्तेमाल किए गए थे। चालान की गड़बड़ी इन चालानों को हजारों रुपये के बजाय लाखों रुपये का बनाकर ठेकेदारों ने शराब उठाई और अपनी दुकानों में बेच दी। इस मामले में 12 अगस्त 2017 को इंदौर की रावजी बाजार पुलिस में 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था।

ईडी ने आबकारी कमिश्नर को एक लेटर भेजा है और कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। ED ने फर्जी चालान कांड में शामिल ठेकेदारों की जानकारी, अब तक ठेकेदारों से वसूल की गई राशि का विवरण, इंदौर चालान कांड में सम्मिलित ठेकेदारों के बैंक खातों की जानकारी, आबकारी घोटाले में अब तक की जा रही जांच की वर्तमान स्थिति और प्रकरण के संबंध में विभागीय जांच समिति का प्रतिवेदन मांगा है।

मध्य प्रदेश के शराब चालान घोटाले में ईडी की एंट्री के बाद सियासी पारा भी चढ़ गया है। कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली शराब घोटाले में तथ्य न होने के बावजूद मुख्यमंत्री पर कार्रवाई हुई। छत्तीसगढ़ में बिना सबूत के कार्रवाई हुई। मध्य प्रदेश में शराब माफिया और अधिकारियों का गठजोड़ साफ दिख रहा है। राजस्व को बंदर बाट किया गया, तो घोटालेबाजों पर कार्रवाई में इतनी देरी क्यों है। यह जांच एजेंसी का दो मुंह चेहरा है। मध्य प्रदेश के अधिकारी और शराब माफिया ने मिलकर लगभग 100 करोड़ का घोटाला किया है। घोटालेबाजों पर जल्द कार्रवाई होना चाहिए। सालों से घोटालेबाज अधिकारी और शराब माफिया को बचाया जा रहा है।