माधवराव की तस्वीर को बारिश में भीगता छोड़ गए भाजपाई, कांग्रेस ने पूछा, यह कैसा सम्मान

माधवराव सिंधिया की आज पुण्यतिथि है, ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पार्टी में शामिल करने के बाद बीजेपी को माधवराव सिंधिया की तस्वीर को भी अपने कार्यालय में रखने पर मजबूर होना पड़ता है , लेकिन सिंधिया परिवार के प्रति बीजेपी के नेताओं के मन में कितना सम्मान है वह भाजपा मुख्यालय में दिवंगत कांग्रेस नेता की तस्वीर बता रही है

Updated: Sep 30, 2021, 01:44 PM IST

Photo Courtesy : Twitter
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भोपाल। दिवंगत कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की आज पुण्यतिथि है। चूंकि उनके बेटे और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस समय बीजेपी के सदस्य हैं, इसलिए  बीजेपी माधवराव सिंधिया को भी अपने कुनबे का हिस्सा मानने पर मजबूर है। लेकिन बीजेपी की इस मजबूरी का पर्दाफाश आज भोपाल की बारिश ने कर दिया। जब बीजेपी के नेता अपने मुख्यालय के परिसर में माधवराव सिंधिया की तस्वीर को भीगता छोड़ गए। 

सोशल मीडिया पर इस समय बीजेपी प्रदेश मुख्यालय का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें माधवराव सिंधिया की तस्वीर भीगती हुई नज़र आ रही है। जिससे दिवंगत कांग्रेस नेता के प्रति भाजपा का दिखावटी सम्मान भी जग जाहिर हो गया। दावा किया जा रहा है कि माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर भाजपा प्रदेश मुख्यालय में बीजेपी के नेताओं ने दिवंगत नेता की तस्वीर पर पुष्प तो अर्पित किए, लेकिन जैसे ही राजधानी में मौसम के करवट लेते ही जब कांग्रेस नेता की तस्वीर भीगने लगी, भाजपाईयों ने इसकी कोई सुध लेने की ज़हमत नहीं उठाई। 

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने भाजपा कार्यालय का वीडियो साझा करते हुए इसकी निंदा की है। सलूजा ने कहा कि भाजपा कार्यालय में स्व.माधवराव सिंधिया जी के फ़ोटो पर दिखावटी माल्यार्पण कर,फ़ोटो खींचा कर सभी नेता चल दिये और बारिश में फ़ोटो को वही खुले में छोड़ गये,भाजपा कार्यालय में एक कोने में रखी,बरसात में भीग रही उनकी तस्वीर?कोई देखने,सम्भालने वाला नही, ये कैसा सम्मान। 

माधवराव सिंधिया का आज ही के दिन 2001 में विमान दुर्घटना में निधन हो गया था। माधवराव सिंधिया कांग्रेस की विभिन्न सरकारों में मंत्री रहे थे। उन्होंने कांग्रेस की सरकारों में उड्डयन मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, रेल मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे थे। 

माधवराव सिंधिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ से की थी। लेकिन जल्द ही जनसंघ को छोड़ उन्होंने गुना से पहले निर्दलीय चुनाव जीता, इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस पार्टी के लिए उन्होंने अपने परिवार और खासकर अपनी माता विजयराजे सिंधिया तक की नाराज़गी उठाने से परहेज़ नहीं किया। माधवराव सिंधिया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के करीबी माने जाते थे। कहा तो यहां तक जाता है कि अगर माधवराव सिंधिया का आकस्मिक निधन नहीं होता तो वे यूपीए की सरकार में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार होते। 

हालांकि सियासी जीवन में थोड़े वक्त के लिए कांग्रेस पार्टी से उनकी नाराज़गी एक बार बढ़ी ज़रूर थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी अपने वैचारिक सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बजाय नई पार्टी बनाई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आलोचक आज भी उन्हें आत्मसम्मान और वैचारिक सिद्धांतों की रक्षा करने की सीख अपने पिता से लेने के लिए कहते हैं। जिन्हें अपनी नई पार्टी तक बनाना मंज़ूर था लेकिन बीजेपी और उसकी विचारधारा का साथ देना उन्हें कतई मंज़ूर नहीं था।

कांग्रेस पार्टी और खासकर गांधी परिवार के मन में ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्या स्थान था उसका इस बात से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए तब राहुल गांधी ने सिर्फ इतना ही कहा कि एकमात्र सिंधिया ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मेरे घर में दाखिल होने के लिए मुझसे या किसी से भी पूछने की ज़रूरत नहीं थी। उनके लिए मेरे घर के दरवाज़े हमेशा खुले रहेंगे। जबकि प्रियंका गांधी के लिए भी ज्योतिरादित्य सिंधिया भाई से कम नहीं थे। जब लोकसभा चुनावों के दौरान प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उत्तर प्रदेश में एक साथ मिलकर काम किया था। लेकिन पद की लालसा की लत ऐसी लगी कि सिंधिया ने बरसों पुराना रिश्ता तो ताक पर रखा ही साथ ही मध्य प्रदेश की निर्वाचित सरकार को भी गिराने से परहेज़ नहीं किया।