कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की हुई मौत, साशा के बाद अब उदय ने तोड़ा दम

तबियत बिगड़ने के बाद चीते उदय को ट्रेंकुलाइज कर डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया था। हालांकि, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

Updated: Apr 23, 2023, 11:44 PM IST

श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता उदय ने रविवार को बीमारी के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मध्य प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने उसकी मौत की पुष्टि की है। फिलहाल मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है।

वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक चीतों की निगरानी कर रहे दल को उदय रविवार सुबह 9 बजे सिर झुकाए और सुस्त हालत में बैठा मिला था। उसके करीब जाने पर वह उठकर लड़खड़ाकर चलने लगा। उदय की तबियत बिगड़ने की सूचना वन्यप्राणी चिकित्सकों को दी गई। जिसके बाद उन्होंने मौके पर जाकर चीता उदय को देखा तो वह बीमार पाया गया।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक चीता उदय की हालत को देखते हुए मौके पर मौजूद वाइल्डलाइफ डॉक्टरों ने इलाज के लिए उसे ट्रेंकुलाइज करने की जरूरत बताई। जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेकर चीता उदय को बेहोश कर इलाज शुरू किया गया। उसे आइसोलेशन वार्ड में निगरानी के लिए रखा गया। हालांकि, इलाज के दौरान ही शाम करीब 4 बजे उसकी मौत हो गई।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक दिन पहले की निगरानी में चीता स्वस्थ्य मिला था। फिलहाल मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा। बता दें कि इससे पहले, पांच साल की मादा चीता साशा की पिछले महीने किडनी में संक्रमण के चलते मौत हो गई थी।

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प्रोजेक्ट चीता के तहत पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। इनमें एक एक नर और मादा चीता की मौत हो चुकी है। इस तरह कुल 20 चीतों में से 2 की मौत जाने पर अब 18 चीते कूनो नेशनल पार्क में बचे है। हालांकि, पहली खेप में नामीबिया से आई सियाया ने हाल ही में 4 शावकों को जन्म दिया था। चार नवजात को मिलाकर कूनो में अब भी 22 चीते हैं।

कूनो शिफ्ट होने के बाद दो चीतों की हुई मौत प्रोजेक्ट चीता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। साशा की मौत के बाद ही डॉक्टरों ने बताया था दो अन्य चीते साशा के समान बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी बचाना कठिन है। हालांकि, ये चीता उन दो में शामिल था या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। इसके पहले दो चीते बाड़े से बाहर इंसानी बस्तियों में घुस गए थे। जिन्हें ट्रेंकुलाइज कर जंगल में छोड़ा गया।