26 वर्ष से लोगों की प्यास बुझा रहे हैं शंकरलाल, भीषण गर्मी में साइकिल से घूमकर पिलाते हैं ठंडा पानी

जबलपुर में वॉटरमैन के नाम से मशहूर हैं शंकरलाल सोनी, आग उगलती गर्मी के बीच 68 वर्षीय वॉटरमैन सड़कों पर घूम-घूम कर राहगीरों की बुझा रहे हैं प्यास, 26 वर्षों से नहीं रुका है ये सिलसिला

Updated: May 06, 2022, 08:48 AM IST

जबलपुर। भारतीय संस्कृति में किसी प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। गर्मियों के मौसम में अमूमन लोग जगह - जगह पर घड़े और प्याऊ लगाते हैं, ताकि प्यासे लोगों को इस चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल सके। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक अनोखे व्यक्ति हैं जो आग उगलती गर्मी के बीच घूम-घूम कर लोगों की प्यास बुझाते हैं।

यह कहानी संस्कारधानी जबलपुर के शंकरलाल सोनी की है जो शहरभर में वॉटरमैन के नाम से मशहूर हैं। 68 वर्षीय बुजुर्ग शंकरलाल सोनी अपनी वृद्धावस्था को आराम से जीने के बजाय लोगों की सेवा करते हैं। वे जबलपुर की गलियों में अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों की प्यास बुझाते हैं और इस नेक कार्य को करते हुए शंकरलाल सोनी को लोग प्यार से वाटरमैन कहते हैं।

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खास बात ये है कि पिछले 26 वर्षों से यह सिलसिला रुका नहीं है। वे सन 1996 से अनवरत इस काम में लगे हुए हैं। शंकरलाल रोज सुबह अपनी साइकिल पर निकलकर नर्मदा जाते है। जहां से करीब 100 लीटर पानी छागलों में भरकर लोगों की प्यास बुझाने निकल जाते हैं, और जब यह पानी खत्म हो जाता है तो फिर से स्वच्छ नर्मदा जल लेकर लोगों की प्यास बुझाने का काम शुरू कर देते हैं। शंकरलाल बताते हैं कि वह रोजाना तीन बार इस तरह पानी भरने जाते हैं और लोगों को पिलाते हैं। इसके एवज में वह किसी से भी पैसे नहीं लेते। 

शंकरलाल की साइकिल पर दोनों तरफ तख्तियां लगी हुई है जिनमें चलता फिरता प्याऊ लिखा हुआ है। इस भीषण गर्मी में जहां जिला प्रशासन को जगह-जगह प्याऊ बनाना चाहिए और ठंडे पानी की व्यवस्था करना चाहिए। ऐसे में यह जिम्मेदारी एक बुजुर्ग शख्स अपने कंधों पर लेकर चल रहा है। वह ये काम सिर्फ आत्मीय सुकून के लिए करते हैं।

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जबलपुर में हर दिन शंकरलाल प्यासे लोगों तक खुद पहुंचते हैं और उन्हें शीतल जल देते हैं। चाहे आदमी किसी भी धर्म, मजहब, जात और क्षेत्र का हो वे बिना भेदभाव अपने काम में लगे रहते हैं। देशभर में जब लगातार सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिशें हो रही हो, लोग एक दूसरे के प्राण लेने को आतुर हों, ऐसे समय में शंकरलाल सोनी जैसे लोग ही मानवीय मूल्यों का निर्वाह कर रहे हैं।