नन्हीं गोद में शव का बोझ: छोटे भाई की लाश लिए सड़क किनारे बैठा रहा मासूम, सस्ता शव वाहन ढूंढता रहा पिता

मदद की उम्मीद में दौड़ती नजरें, मक्खियों को उड़ाते छोटे हाथ, सड़क किनारे बैठे इस मासूम को जिसने भी देखा वो रो पड़ा, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की घटना

Updated: Jul 11, 2022, 05:48 AM IST

मुरैना। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां 8 साल का मासूम बच्चा अपने 2 साल के भाई की लाश गोद में लेकर बैठा रहा। सफेद कपड़े से ढंकी लाश पर मक्खियां आ रही थी। बड़ा भाई मक्खियां उड़ाता फिर मदद की उम्मीद में इधर-उधर नजरें दौड़ाता। उधर पिता अपने बेटे का शव गांव ले जाने के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाता रहा। लेकिन उसे एम्बुलेंस नहीं मिली। हाथ जोड़े मिन्नतें की पर किसी का दिल नहीं पसीजा।

यह तस्वीर वंचित वर्ग की बेबसी तो दिखाती ही है, साथ ही राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत भी बयां कर रही है। घटना मुरैना जिला अस्पताल की है, जहां अंबाह के बड़फरा गांव के निवासी पूजाराम के दो वर्षीय के बेटे राजा की मौत हो गई थी। वे दो दिन पहले बच्चे को बीमार हालत में लेकर सबसे पहले अंबाह अस्पताल लेकर पहुंचे थे। लेकिन हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। 

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परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल गए लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पूजाराम अपने बेटे के शव को एंबुलेंस में घर लाने के लिए अस्पताल और डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहे लेकिन उन्हें कोई शव वाहन नहीं मिला। क्योंकि एंबुलेंस का किराया डेढ़ हजार था। बेबस पिता के पास इतने पैसे नहीं थे। वह प्राइवेट और सरकारी एम्बुलेंस लेने के लिए गिड़गिड़ाता रहा, मिन्नतें करता रहा और उसने लोगों के पैर भी पकड़े लेकिन किसी ने मदद नहीं की। 

जब पूजाराम शव वाहन ढूंढ रहे थे तब उनका आठ साल का बेटा गुलशन नेहरू पार्क के सामने सड़क पर छोटे भाई की लाश गोद में रखे बैठा था। गुलशन कभी छोटे भाई के शव से मक्खी भगाता तो कभी उसे दुलारता फिर रोने लगता। इस दौरान वहां राहगीरों की भीड़ लग गई। किसी ने इस बात की सूचना कोतवाली टीआइ योगेंद्र सिंह जादौन को दी। वे मौके पर पहुंचे फिर उन्होंने मासूम को उठाया और एंबुलेंस की व्यवस्था की।

मामला सामने आने के बाद कांग्रेस की छात्र संगठन NSUI ने गुलशन का शिक्षा का खर्च उठाने का ऐलान किया है। NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने ट्वीट किया, 'ऐसे दृश्य देखकर कलेजा फट जाता है। जीवन व्यर्थ लगता है। हम एक देश के तौर पर क्या भविष्य दे रहे है इन छात्रों को? शिक्षा ही वो जरिया है जिससे भविष्य बेहतर किया जा सकता है। इसलिए मध्य प्रदेश एनएसयूआई इस बालक की स्कूली शिक्षा का जिम्मा लेती है और हर संभव सहायता हम हमारी तरफ से देंगें।'