सेंधवा में नहीं मिली मेधा पाटेकर को एंट्री, पुलिस ने वकीलों को भी रोका, कई घंटों तक गाड़ियों का किया पीछा

मध्य प्रदेश के सेंधवा में दंगा पीड़ित परिवारों से मिलने जा रही थी सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकील भी थे साथ, पुलिस ने नहीं दी एंट्री

Updated: Apr 16, 2022, 11:59 AM IST

सेंधवा। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद पुलिस कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी बीच पुलिस द्वारा अब सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एहतेशाम हाशमी समेत अन्य लोगों के साथ अभद्रता की खबर आई है। पुलिस ने न सिर्फ इन्हे सेंधवा जाने से रोका, बल्कि वापस लौटते वक्त कई घंटों तक पीछा भी करती रही।

जानकारी के मुताबिक नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटेकर, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एहतेशाम हाशमी, हाईकोर्ट के वकील दीपक बुंदेले, सामाजिक कार्यकर्ता नूर जहां खान और ज्वलंत सिंह सेंधवा जा रहे थे। रास्ते में सेंधवा चेकपोस्ट पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान दर्जनों की संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ियों की चाबियां छीन ली। 

हैरानी की बात ये है कि पुलिसकर्मियों में किसी की वर्दी पर नेम प्लेट तक नहीं लगा हुआ था। इस बारे में मेधा पाटेकर ने जब उनसे सवाल पूछा तो वे कोई जवाब नहीं दे पाए। करीब 1 घंटे बाद सभी लोग वापस लौट गए, लेकिन पुलिस की कई गाड़ियों ने कथित रूप से उनका पीछा किया। इसके बाद मेधा पाटेकर समेत सभी लोग करीब 30 किलोमीटर दूर टेकरी नामक एक गांव में रुक गए।

मेधा पाटेकर ने इस दौरान कहा, 'हम गांधी को मानने वाले लोग हैं, गोडसे को नहीं। हम वहां अमन का पैगाम देने जा रहे थे। हम हिंसा पीड़ितों का दुःख बांटने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें जाने नहीं दिया। आज खरगोन और सेंधवा में जो हो रहा है बेहद गलत है। पुलिस ने पहले से जेल में बंद तीन युवाओं को दंगों का आरोपी बना दिया। ये कैसे संभव है? ये देश ऐसा है जहां हिंदू ताजिया बनाते हैं, मुसलमान रामभक्तों पर फूल बरसाते हैं। लेकिन सामाजिक सौहार्द को जानबूझकर बिगाड़ने की साजिशें हो रही है। विभाजनकारी ताकतें कभी कामयाब नहीं होंगी।'

मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी ने कहा, 'आप स्थिति का अंदाजा लगाइए कि समाजसेवियों और वकीलों को सेंधवा नहीं जाने दिया जा रहा है। हम कोई गुंडे बदमाश नहीं हैं। सरकार समाज में क्या संदेश देना चाहती है? सेंधवा में कुछ तो गड़बड़ हुआ है जिसे छिपाने के लिए हमें वहां जाने से रोका गया। भारत एक स्वतंत्र देश है और यहां संविधान के दायरे में रहकर हम कुछ कर रहे हैं तो गलत क्या है? हम इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।'