MCU : छात्राओं को एक सप्‍ताह में हॉस्टल फीस भरने का फरमान

जो छात्राएं लॉकडाउन में छात्रावास में रही हैं उन्हें 9,150 रुपए और जो छात्रावास में नहीं रही हैं उन्हें 5,250 रुपए 15 जून 2020 तक जमा करने होंगे

Publish: Jun 10, 2020, 11:36 PM IST

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने छात्राओं से एक हफ्ते के भीतर होस्टल फीस भरने के लिए कहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मंगलवार को जारी आदेश के मुताबिक जो छात्राएं लॉकडाउन के दौरान छात्रावास में रह रही हैं उन्हें 9150 रुपए तथा जो नहीं रह रहीं हैं उन्हें 5250 रुपए भुगतान करने होंगे। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रशासन के इस फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं वहीं एमसीयू एनएसयूआई इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी में है। विवि के एनएसयूआई प्रभारी सुहृद तिवारी ने कुलपति को ज्ञापन देकर विवि प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट जाने की चेतावनी देते हुए फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है।

माखनलाल विश्वविद्यालय में प्रशासन ने मंगलवार को एक नोटिस जारी कर एक हफ्ते के भीतर कन्या छात्रावास की फीस भुगतान करने के आदेश दिए हैं। नोटिस में लिखा है कि जो छात्राएं लॉकडाउन की अवधि में छात्रावास में रही हैं उन्हें 9,150 रुपए वहीं जो छात्राएं इस दौरान छात्रावास में नहीं रही हैं उन्हें 5,250 रुपए 15 जून 2020 तक जमा करने होंगे।

विश्‍वविद्यालय के छात्र-छात्राएं इस निर्णय का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब छात्राएं होस्टल में रही ही नहीं तो फिर उनसे फीस क्यों मांगी जा रही है। एमसीयू एनएसयूआई ने इस फैसले को तुगलकी फरमान बताते हुए इसे वापस लेने का मांग की है।

विश्‍वविद्यालय के इस फैसले पर एमसीयू एनएसयूआई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यपाल लालजी टंडन व कुलपति संजय द्विवेदी को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपील याद दिलाई है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने पत्र में लिखा है कि पीएम और सीएम दोनों ने मीडिया के माध्यम से आमजनों से अपील की थी कि छात्र व मजदूरों से किराया न लिया जाए। वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने तो खुद रूम रेंट देने की भी घोषणा की है। ऐसे में पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा रूम रेंट मांगना कहां तक न्यायसंगत है? अगर विवि प्रशासन इस फैसले को तत्काल वापस नहीं लेती है तो हमें मजबूरन न्यायालय के शरण में जाना पड़ेगा।'

होस्टल में रहने वाली बीएएमसी चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा मेघा कुमारी ने बताया कि वे पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से घर पर हैं। लॉकडाउन के दौरान मेरे पिताजी का व्यवसाय बंद होने के कारण घर की आर्थिक हालत बिल्कुल खराब हो गइर् है। ऐसे में यूनिवर्सिटी की फीस भरना मुश्किल हो रहा है तो हम होस्टल की फीस कहां से जमा कर पाएंगे। होस्टल में नहीं रहने के बावजूद फीस मांगना बिल्कुल न्यायोचित नहीं है।'

मध्यप्रदेश एनएसयूआई के प्रवक्ता व विश्वविद्यालय प्रभारी सुहृद तिवारी ने हम समवेत को बताया कि 'एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्र व मजदूरों से किराया नहीं लेने की अपील करते हैं वहीं दूसरी ओर बीजेपी शासित प्रदेश में विश्वविद्यालय द्वारा रूम रेंट भरने का तुगलकी फरमान जारी किया जाना उनके दोहरेपन को प्रदर्शित करता है। हम अपनी बहनों के साथ यह अत्याचार नहीं होने देंगे। कुलपति जी को इतना संवेदनहीन नहीं होना चाहिए। संकट के इस दौर में अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के लिए भोजन व अन्य जरूरी सामग्री मुश्किल से जुटा पा रहे हैं। विवि प्रशासन अगर तत्काल इस निर्णय को वापस नहीं लेगा तो हम विश्वविद्यालय के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।'