गैरों पे करम, अपनों पे सितम करने पर मजबूर शिवराज!
शिवराज सिंह चौहान खासे पसोपेश में नजर आ रहे हैं। मंत्री पद सीमित है और कई वरिष्ठ नेताओं को उसमें एडजस्ट करना होगा।

मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद फिर से शुरू हो गई है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन मंत्रिमंडल को लेकर कयासों का दौर जारी रहा। जैसे तैसे उन्होंने पांच मंत्री बनाए लेकिन अब मंत्रिमंडल का विस्तार करना ही होगा। इसी को लेकर शिवराज सिंह चौहान खासे पसोपेश में नजर आ रहे हैं। मंत्री पद सीमित है और कई वरिष्ठ नेताओं को उसमें एडजस्ट करना होगा। सबसे ज्यादा समस्या आ रही है सागर जिले में।
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दरअसल सागर जिले में सिंधिया समर्थक गोविंद राजपूत मंत्री बन चुके हैं लेकिन गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को मंत्री बनाने में शिवराज सिंह चौहान को पसीना छूट रहा है शिवराज के सामने संकट यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कई मंत्री बनाए जाने हैं। इसके अलावा कई मंत्री राष्ट्रीय नेतृत्व की पसंद के बनने हैं। इसीलिए एक जिले से तीन मंत्री बनाना शायद संभव नहीं हो पा रहा। सूत्र बताते हैं कि इसी को लेकर शिवराज सरकार में एक फार्मूला निकाला गया है जिसमें गोपाल भार्गव को विधानसभा अध्यक्ष का पद देने की पेशकश हुई। यदि भार्गव मान जाते हैं तो फिर शिवराज, गोविंद सिंह के साथ भूपेंद्र सिंह को भी मंत्री बना पाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं होता है तो शिवराज सिंह चौहान के सामने बड़ी चुनौती इस बात की होगी कि वह गोविंद राजपूत के साथ भूपेंद्र सिंह को चुने या फिर गोपाल भार्गव को।
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गोपाल भार्गव मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं और कमलनाथ सरकार के दौरान नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह की गिनती शिवराज सिंह चौहान के सबसे करीबी नेताओं में होती है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के सामने बड़ा धर्म संकट इस बात का है यदि दो में से किसी एक नेता का चुनाव करना पड़े तो वह किसका चुनाव करेंगे। इसी को लेकर गोपाल भार्गव को विधानसभा का अध्यक्ष बनाने की पेशकश की गई है। इसके बाद गोपाल भार्गव निराश बताए गए हैं। हालत यह है कि कुछ ही दिनों पहले उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की एक योजना पर सवाल उठा दिए थे। इसके बाद से लगातार गोपाल भार्गव अपने गृह क्षेत्र में है और भोपाल नहीं आए हैं। गोपाल भार्गव की नाराजगी की खबरों को बल मिला जब गुरुवार की रात को मंत्री गोविंद राजपूत गोपाल भार्गव से मिलने उनके घर पहुंचे। इसके बाद इसके बाद जब गोविंद राजपूत से यह सवाल किया गया कि क्या वह गोपाल भार्गव को मनाने आए हैं तो गोविंद राजपूत ने कहा कि मेरी इतनी हैसियत नहीं कि मैं गोपाल भार्गव को मना सकूं। वही पीछे से एक आवाज आई जिसमें गोपाल भार्गव ने कहा कि यदि हम नाराज हो गए यो क्या बचेगा।
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साफ है कि दूर से ही सही लेकिन गोपाल भार्गव इशारा कर रहे हैं कि वह नाराज हैं और अगर उनकी नाराजगी दूर ना हुई तो फिर पार्टी को दिक्कत हो सकती है। ठीक 24 घंटे बाद, मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री संजय पाठक भी शुक्रवार को देर रात गोपाल भार्गव से मिलने उनके घर गढ़ाकोटा पहुंचे। इस मुलाकात में क्या बात हुई यह तो खुलासा नहीं हुआ लेकिन लगातार कई बड़े नेताओं का गोपाल भार्गव के यहां पहुंचना, मध्य प्रदेश में 3 मई के बाद किसी भी समय मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों का जन्म लेना और गोपाल भार्गव को मंत्री पद की बजाय विधानसभा अध्यक्ष के पद की पेशकश किए जाने से बड़े संकेत मिल रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में सरकार तो बना ली लेकिन अब बड़ा सवाल यही है कि क्या भारतीय जनता पार्टी सिंधिया समर्थकों को आगे बढ़ाकर अपने ही कद्दावर नेताओं को नाराज करने और पीछे रखने का जोखिम मोल ले पाएगी?