हाथ की मेहंदी छूटने से पहले हथकड़ियां पहना दी, रामदेव काकोड़िया प्रकरण में दिग्विजय सिंह ने CM को लिखा पत्र

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सीएम चौहान को संबोधित पत्र में लिखा है कि सत्ताधारी दल के संरक्षण में आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन जोड़तोड़ से बनी यह सरकार मौन है

Updated: May 21, 2022, 02:36 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यभर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। राज्यसभा सांसद ने आदिवासी युवक रामदेव काकोड़िया की गिरफ्तारी मामले में सीएम चौहान को पत्र लिखा है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि सत्ताधारी दल के संरक्षण में राज्य में आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन जोड़तोड़ से बनी यह सरकार मौन है।

सीएम चौहान को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि, 'प्रदेश में आदिवासी वर्ग पर अत्याचार के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। सिवनी जिले में दो आदिवासियों को पीट-पीट कर मार डालने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि देवास जिले में एक 21 वर्षीय आदिवासी कार्यकर्ता रामदेव काकोड़िया को पुलिस की मिलीभगत से कलेक्टर ने जिला बदर कर दिया। इस मामले से जुड़े तथ्य बताते है कि आदिवासी वर्ग के संविधान प्राप्त मानवाधिकारों को किस तरह कुचला जा रहा है। 

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर घटाई एक्साइज ड्यूटी, पेट्रोल साढ़े 9 रुपए और डीजल 7 रुपए सस्ता हुआ

सिंह ने दावा किया है कि, थाने के भीतर टीआई सुनील शर्मा ने मारपीट करते हुए गंदी-गंदी गालियां दी और नेतागिरी बंद करा देने की धमकी दी। इसके बाद बीजेपी और आरएसएस से जुड़े 15-20 गुंडों के सहयोग से रामदेव काकोड़िया को पटक-पटक कर मारा जाता है। अनुसूचित जनजाति का यह युवक गिड़गिड़ाते रहता है पर पुलिस बल की मौजूदगी में इस नौजवान को बुरी तरह पीटा जाता है। इस हमले में रामदेव के पैर में डली राड भी खिसक जाती है। मारपीट के बीच रामदेव दर्द से चीखता, कराहता रहा पर स्थानीय विधायक आशीष शर्मा का संरक्षण प्राप्त भाजपा और आर.एस.एस. के लोग उसे पीटते रहे। जब उसके हाथ, पैर और शरीर से खून आने लगा तो दूसरे कमरे में ले जाकर उसे हथकड़ी लगा दी गई।'

कांग्रेस नेता के मुताबिक बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉ मेडिकल चेकअप के दौरान शरीर पर आई चोटों के निशान लिखने की जगह शरीर पर बने टेटू गिनते रहे। यहां से घायल रामदेव को धारा 151 में प्रकरण दर्ज कर कन्नौद जेल भेज दिया। जेलर ने जब रामदेव के कपड़े उतारकर मेडिकल कराया तो उसके शरीर में चोटों के घाव पाये गये।
परिवार के लोग रामदेव काकोड़िया की जमानत के लिये सक्रिय हुए तो कार्यपालिका मजिस्ट्रेड तहसीलदार तीन दिन तक ऑफिस में ही नही बैंठे। क्योंकि तहसीलदार 10 मई की विधायक की रैली निकलने का इंतजार कर रहे थे। जब विधायक की रैली निकल गई तब रामदेव काकोड़िया को 10 मई की रात 8 बजे जमानत देकर छोड़ा गया।'

यह भी पढ़ें: MP के IAS अधिकारी प्रतीक हजेला पर असम में देशद्रोह का मुकदमा, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप

सिंह के मुताबिक जेल से बाहर आने पर रामदेव ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर टीआई सुनील शर्मा के विरूद्ध अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 के तहत प्रकरण दर्ज करने की मांग की। SP ने इस मामले की जांच ऐसे पुलिस अधीक्षक को दे दी है जो स्थानीय विधायक की रेत खनन का हिसाब किताब रखते है। पुलिस इस मामले में जांच करती इससे पहले ही कलेक्टर देवास ने रामदेव को जिलाबदर करने के आदेश जारी कर दिया। कांग्रेस नेता ने लिखा है कि प्रदेश में आदिवासियों को अपने हक की आवाज लगाना ही गुनाह हो गया है। 

सीएम के संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि, 'सरकार ने रामदेव काकोड़िया को राज्य की सुरक्षा के लिये खतरा मान लिया। जिसने अपनी वैवाहिक जिंदगी 2 दिन पूर्व 5 मई 2022 को शुरू की थी। और कविता नाम की युवती को अपनी जीवन संगनी बनाते हुए सात फेरे लिये थे। रामदेव के हाथ की मेंहदी छूटने से पहले ही सत्तारूढ दल के राजनैतिक दबाव में उसे न सिर्फ हथकड़ियां पहना दी गई, बल्कि कलेक्टर ने जिलाबदर करने का आदेश जारी कर दिया। यह मामला मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न की दास्तां बयां कर रहा है।  जोड़तोड़ से बनी यह सरकार आदिवासी वर्ग पर हो रही प्रताड़ना के मामले में मौन है।' सिंह ने राज्य सरकार से मांग कि है की पुलिस मुख्यालय से किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक दल गठित कर रामदेव काकोड़िया पर पुलिस द्वारा कराई गई मारपीट के मामले की जांच कराई जाये और कलेक्टर द्वारा जारी किये गये जिलाबदर के आदेश को रद्द किया जाए।