MP के IAS अधिकारी प्रतीक हजेला पर असम में देशद्रोह का मुकदमा, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप

प्रतीक हजेला पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर असम में NRC का कोऑर्डिनेटर बनाया गया था, बाद में विवाद बढ़ने पर उन्हें मध्य प्रदेश भेज दिया गया

Updated: May 21, 2022, 12:52 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी व सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। हजेला के खिलाफ यह मुकदमा असम में दर्ज हुई है। उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है।

असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के मौजूदा कोऑर्डिनेटर हितेश देव सरमा ने हजेला के खिलाफ पुलिस में यह शिकायत दर्ज कराई है। हजेला पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय नागरिकों के रूप में अपात्र व्यक्तियों के नामों को दस्तावेजों में शामिल किया। उनके ऊपर 'राष्ट्र-विरोधी अधिनियम' के तहक केस दर्ज किया गया है। प्रतीक हजेला के अलावा FIR में अन्य कर्मचारियों के भी नाम हैं।

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दरअसल, मध्य प्रदेश के निवासी 1995 बैच के IAS अधिकारी प्रतीक हजेला को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम में नागरिकता रजिस्टर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। वे इस अभियान से बतौर कोऑर्डिनेटर जुड़े हुए थे। हजेला के नेतृत्व में पहली बार जब असम में नागरिकता रजिस्टर तैयार हुई तो उसमें से 40 लाख लोगों के नाम बाहर थे। खास बात ये है कि इनमें हिंदुओं की संख्या ज्यादा थी। तब CAA और NRC लागू करने पर तुली बीजेपी सरकार के इस अभियान पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे।

प्रतीक हजेला इसके बाद बीजेपी सरकारों के निशाने पर आ गए। NRC अधिकारियों ने उन पर जालसाजी, धोखाधड़ी, गलत रिकॉर्ड बनाने, शपथ पर गलत बयान देने और अन्य आरोपों के साथ आपराधिक साजिश का आरोप लगाया। भारत के रजिस्ट्रार जनरल और असम कार्यालय के तत्वावधान में एनआरसी प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। इसमें प्रकाशित NRC के फिर से सत्यापन की मांग की गई। हजेला पर इस मामले में अलग अलग लगभग आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

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दरअसल, NRC को अपडेट करने का उद्देश्य अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालना था। 31 अगस्त, 2019 को जारी अंतिम सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख को बाहर कर दिया गया। असम सरकार ने डेटा में गड़बड़ी का आरोप लगाकर इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उधर विवाद के बीच प्रतीक हजेला ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष न्यायालय के आदेश पर वह तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर मध्य प्रदेश आ गए।

सूत्रों के मुताबिक 50 वर्षीय हजेला को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है, जबकि इसके पीछे कोई वजह नहीं है। IIT दिल्ली से बीटेक की डिग्री प्राप्त करने वाले हजेला कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में शुमार हैं। उनके पिता एसपी हजेला मध्य प्रदेश सिविल सेवा में थे, जबकि उनके एक भाई राजधानी भोपाल में डॉक्टर हैं। हजेला के चाचा पीडी हजेला इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और सागर यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं। कोरोना काल में भी हजेला सीएम शिवराज के साथ हुए विवाद को लेकर सुर्खियों में आए थे और सीएम ने उन्हें हेल्थ कमिश्नर के पद से हटाने का निर्देश दिया था।