MP में टेकहोम राशन घोटाला, NCPC ने EOW को दिए 52 जिलों में जांच के आदेश

महिला बाल विकास विभाग ने फर्जी 1.71 लाख बच्चियों को भेजा टेक होम राशन, कांग्रेस बोली शिव’राज’ में जारी है घोटालों की बेशर्म प्रतियोगिता, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने EOW को सौंपी जांच

Updated: Feb 04, 2021, 02:39 AM IST

Photo Courtesy: Times of India
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भोपाल। मध्य प्रदेश में एक और घोटाला उजागर हुआ है। इस बार स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों के टेक होम राशन में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। टेकहोम राशन में गड़बड़ी का खुलासा कैग (CAG) ने किया है। जिसमें कहा गया है कि हर साल 60 करोड़ का पोषण आहार टेकहोम राशन बांटा गया है।

इससे जुड़े दो विभागों के आकंड़ों में गड़बड़ी पाई गई है। महिला बाल विकास विभाग की ओर से कहा गया था कि 2.17 लाख बच्चियां स्कूल नहीं जाती हैं, जबकि शिक्षा विभाग ने स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों की संख्या 23 हजार 491 बताई थी।

इस घोटाले के उजागर होने पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर हमला किया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से ट्वीट किया गया है कि शिवराज के राज में  चार ज़िलों में 4.27 करोड़ का पोषण आहार घोटोला हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि विधायक ख़रीदकर बनी यह सरकार अब भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान स्थापित कर रही है।

 

 

NCPC याने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कैग की शुरुआती जांच रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू को मामला सौंप दिया है। इस गड़बड़ी की शिकायत दर्ज कर ली गई है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने दो दिन पहले एक फरवरी को ईओडब्ल्यू को जांच के आदेश दिए हैं। NCPC की ओर से कैग द्वारा की गई चार जिलों की रिपोर्ट भी भेजी गई है। जिन जिलों की रिपोर्ट भेजी गई है, उनमें बैतूल, ग्वालियर, डिंडोरी और सिंगरौली जिले शामिल हैं। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 4 जिलों में ही 4 करोड़ 26 लाख से अधिक की गड़बड़ी की गई है। जिसके बाद अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने EOW को सभी 52 जिलों में जांच के आदेश दिए हैं। प्रदेश के सभी 52 जिलों में मामले की जांच आरंभ कर दी गई है। 

दरअसल करीब डेढ़ साल पहले NCPC की अध्यक्ष प्रियंका चौधरी ने मध्यप्रदेश के विदिशा में स्कूल और आंगनबाड़ियों का निरीक्षण किया था, इस दौरान पता चला था कि लड़कियों के रजिस्ट्रेशन और उपस्थिति में भारी अंतर है। जिसके बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग से 11 से 14 साल की स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों की जानकारी मांगी थी।

तब महिला बाल विकास विभाग ने NCPC को बताया था कि ऐसी 2 लाख 17 हजार 211 बालिकाए स्कूल नहीं जाती हैं, उनमें से 1 लाख 71 हजार 365 को आंगनवाड़ियों द्वारा टेकहोम राशन बांटा जाता है। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा था कि प्रदेश में केवल 23 हजार 491 बच्चे ही ऐसे हैं जो स्कूल नहीं जाते हैं, इनमें से 11 से 14 साल की किशोरियों की संख्या 8680 है। दोनों विभागों से आंकड़ों में बालिकाओं के आंकड़ों में भारी अंतर नजर आने पर कैग याने अकाउंटेंट जनरल को परीक्षण के लिए भेज दिया गया था।

दोनों विभागों के आंकड़ों में बड़ा अंतर होने पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले की जांच कैग से करवाई। जांच में स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े और दस्तावेज सही मिले। और पता चला का आंगनबाड़ी डाटा गलत हैं, जिन किशोरी बालिकाओं को कागजों में पोषण आहार का राशन बांटा जा रहा है, उनका तो कोई अस्तित्व ही नहीं है। अब मध्यप्रदेश के सभी 52 जिलों की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सौंपी गई है।