चार साल में MPPSC ने परिक्षा पर खर्च किए 68.46 करोड़, अबतक एक का भी नहीं आया रिजल्ट

आरटीआई आवेदन से मिली जानकारी के मुताबिक आयोग ने 2018-19 और 2021-22 के बीच परीक्षा के आयोजन और संबंधित प्रशिक्षण के संचालन पर 68.46 करोड़ रुपये खर्च किए

Updated: Aug 13, 2022, 05:26 AM IST

Photo Courtesy: Mint
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भोपाल। मध्य प्रदेश में सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थी परिणाम घोषित नहीं किए जाने के कारण आंदोलित हैं। इंदौर में बीते हफ्ते अभ्यर्थियों का गुस्सा भी देखने को मिला। इसी बीच एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से अहम जानकारी सामने आई है। MPPSC ने पिछले चार वर्षों में परिक्षा आयोजित करने में तकरीबन 64 करोड़ 46 लाख रुपए खर्च किए। हैरानी की बात ये है कि इन चार वर्षों में एक भी परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित नहीं हो पाया।

आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सेवा आयोग ने वित्त वर्ष 2018-19 और 2021-22 के बीच करीब 1400 पदों के लिए 10 भर्ती परीक्षा आयोजित की। इन पदों के लिए कुल 7.54 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। हालांकि, आयोग द्वारा चार वर्षों में एक भी सीट पर भर्ती नहीं की गई क्योंकि ये मुकदमेबाजी के जाल में फंस गए। ये मुकदमे ओबीसी आरक्षण के साथ ही कई अन्य विसंगतियों से संबंधित हैं।

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मामले की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चार महीने पहले आयोग को 2019 के पूर्व घोषित परिणामों को संशोधित करने का निर्देश दिया था, बावजूद MPPSC ने ओबीसी मुद्दे पर फैसले की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया है। बता दें कि PSC-2020 की मुख्य परीक्षा हाल ही में अनारक्षित श्रेणी को 40 फीसदी और OBC को 27 फीसदी दोनों को अधिकतम आरक्षण देकर आयोजित की गई थी।

इतना ही नहीं राज्य इंजीनियरिंग सेवा, डेंटिस्ट समेत मंत्रालय की कई विभागों कि अन्य परीक्षाएं भी इसके कारण अटकी हुई हैं। आयोग द्वारा इस साल 283 पदों के लिए PSC-2021 परीक्षा आयोजित किया गया, जिसमें 3.55 लाख उम्मीदवार शामिल हुए। हालांकि, जबतक पिछले दो वर्षों की पीएससी भर्तियों को मंजूरी नहीं मिल जाती और अंतिम परिणाम जारी नहीं हो जाते तब तक यह भर्तियां भी अधर में रहेंगे।

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अभ्यर्थियों का आरोप है कि तय समय पर परीक्षा परिणाम घोषित नहीं होने के कारण वे ओवर एज हो रहे हैं। हाल ही में इंदौर में पीएससी के छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन और हंगामा किया था। इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में छात्र तिरंगा लेकर सड़कों पर उतर आए थे। छात्रों का तिरंगा यात्रा आयोग के दफ्तर तक पहुंची और यहां कई घंटों तक उन्होंने आंदोलन किया था।