हमारी संस्कृति आज खतरे में है, धर्म के आधार पर हमें बांटा जा रहा है: रविदास जयंती पर कमलनाथ ने की एकता की अपील

रविदास जयंती पर ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा- हमारा दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ियों को ऐसा देश और प्रदेश सौंपे, जैसा कि संत रविदास जी का सपना था।

Updated: Feb 05, 2023, 01:48 PM IST

ग्वालियर। संत रविदास जयंती के मौके पर मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि संत रविदास ने हर धर्म को एक रखने की नींव डाली, लेकिन आज हमें धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। हमारा दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ियों को ऐसा देश और प्रदेश सौंपे, जैसा कि संत रविदास जी का सपना था। 

कमलनाथ ने कहा कि, "संत रविदास जी समाज में एक नई रोशनी देने वाले संत रहे। उनके पहले गुरु कबीर दास जी थे। कोई व्यक्ति बड़ा या छोटा अपने जन्म से नहीं होता, अपने कर्म से होता है, ये रविदास जी का संदेश था। यह सामाजिक न्याय का संदेश था। समाज को एक रखने का संदेश था। आज हम उन्हें इसीलिए याद रखते हैं। आज हमारा देश एक झंडे के नीचे खड़ा है क्योंकि रविदास जैसे संतों ने देश की संस्कृति की नींव रखी। उन्होंने हर धर्म को एक रखने की नींव डाली। यही हमारे देश की संस्कृति है और यही कांग्रेस की भी संस्कृति है।"

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कमलनाथ ने आगे कहा, "आज के दिन मैं आप सबसे कहना चाहता हूं अपना देश देखें और दुनिया को देखें। विश्व में ऐसा कोई देश नहीं है जहां इतने धर्म हों, इतनी जातियां हो, इतनी भाषाएं हों। कोई ऐसा देश नहीं है जहां इतने त्यौहार हैं, जहां इतनी देवी देवताएं हैं। 
हमारे देश की विभिन्नता, अनेकता में एकता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। दक्षिण जाएं तो भाषा बदल जाती है। केवल भाषा ही नहीं पजामा और धोती भी वहां लूंगी बन जाती है। ये हमारे देश की विविधता है। आज हम संत रविदास की जयंती पर संकल्प लें कि हमें इस संस्कृति को जीवित रखना है।"

कमलनाथ ने इस दौरान संविधान निर्माता डॉ आंबेडकर को याद करते हुए कहा, "बाबा साहेब ने हमें ऐसा संविधान दिया जो पूरे विश्व में मशहूर है। कई देशों ने इस संविधान की नकल की है। आप सोचिए कि अगर ये संविधान गलत हाथों में चला जाएगा तो क्या होगा? आज हमें यह सोचना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा प्रदेश और कैसा देश सौंपना चाहते हैं? हमारे बुजुर्गों ने अपना जीवन जिस संस्कृति में रहकर काटा है, वही संस्कृति आज खतरे में है। भाषा के आधार पर, धर्म के आधार पर देश को बांटा जा रहा है। लोकतंत्र में चुनाव आते रहते हैं, परंतु 7 महीने बाद जो चुनाव होने हैं, उसमें एक प्रत्याशी या एक पार्टी का प्रश्न नहीं है, हमारे देश के भविष्य का प्रश्न है।"

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पीसीसी चीफ ने कहा, "आज संत रविदास जयंती के दिन हम संकल्प लें कि हमारा पहला लक्ष्य कोई पार्टी नहीं कोई उम्मीदवार नहीं बल्कि अपनी संस्कृति और अपने संविधान को सुरक्षित रखना है। देश और प्रदेश की तस्वीर अपने सामने रखिएगा। किस प्रकार धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है, जातियों के नाम पर हम सबको आपस में बांटा जा रहा है, परंतु हम यदि एक रहेंगे तो एकता की आवाज बहुत ऊंची होती है। आज इस मंच से आप सब से कहना चाहूंगा कि हमारा दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ियों को ऐसा देश और प्रदेश सौंपे, जैसा कि संत रविदास जी का सपना था। हमारे महान संतों का सपना था, हमारे महान नेताओं का सपना था।"