शिवपुरी में सहरिया आदिवासियों पर बेदखली का संकट, दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल से की हस्तक्षेप की मांग
दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वन विभाग और राजस्व विभाग की जमीनों की आपसी अदला-बदली की प्रक्रिया अपनाई जाए, जिससे सहरिया परिवारों को काबिज जमीन से बेदखल न करना पड़े।
भोपाल। राज्यसभा सांसद एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने महामहिम राज्यपाल मंगूभाई पटेल को पत्र लिखकर शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील के मजरा कुदोनिया में निवासरत 11 सहरिया आदिवासी परिवारों की व्यथा से अवगत कराया है।
राज्यपाल को संबोधित पत्र में उन्होंने कहा कि ये सहरिया परिवार विगत दो दशकों से वन विभाग की भूमि पर खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें उस भूमि से बेदखल किये जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
दिग्विजय सिंह ने उल्लेख किया कि उनके मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान वर्ष 2003 से पहले भूमिहीन परिवारों को राजस्व भूमि के पट्टे दिये गये थे। तत्समय कुदोनिया क्षेत्र के कुछ आदिवासी परिवारों को भी पट्टे मिले थे, किंतु पहाड़ी भूमि कृषि योग्य न होने के कारण उन्होंने समीप की समतल वनभूमि पर खेती शुरू कर दी।
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उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वन विभाग और राजस्व विभाग की जमीनों की आपसी अदला-बदली (land exchange) की प्रक्रिया अपनाई जाए, जिससे सहरिया परिवारों को काबिज जमीन से बेदखल न करना पड़े और उन्हें स्थायी रूप से राजस्व पट्टे प्रदान किये जा सकें।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में वर्ष 2005 में बने वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) ने देशभर के लाखों आदिवासी परिवारों को उनके काबिज भूमि पर अधिकार प्रदान कर स्थायी आजीविका का आधार दिया था।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में सहरिया जनजाति राज्य की अति पिछड़ी और अत्यंत गरीब जनजाति है, जिसके अधिकांश परिवार अब भी गरीबी, कुपोषण और विस्थापन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने मांग की है कि राज्य शासन एक नीतिगत निर्णय लेकर न केवल शिवपुरी जिले बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी गरीब आदिवासी परिवारों को वन एवं राजस्व भूमि पर कृषि योग्य भूमि के स्थायी पट्टे प्रदान करें, जिससे वे भयमुक्त होकर खेती कर सकें और समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें।उन्होंने कहा कि “इन वंचित सहरिया परिवारों को स्थायी जमीन का अधिकार देना ही आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उन्हें सच्ची आजादी देने जैसा होगा।”




