सिंधिया को सब्र करना था, मैंने उन्हें समझाया भी था लेकिन उन्होंने खुद ही अपने पैर में कुल्हाड़ी मारी: दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने अशोकनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि, 'हमें ज्योतिरादित्य सिंधिया से बड़ी उम्मीदें थीं। और वे काफी मेहनत भी करते हैं। पर ये उम्मीद नहीं थी कि वे पार्टी छोड़कर धोखा देकर चले जायेंगे। क्या कारण हुआ?'

Updated: Jun 01, 2023, 06:19 PM IST

अशोकनगर। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश में कांग्रेस की वापसी के लिए ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। इसी क्रम में सिंह बुधवार देर रात सिंधिया के प्रभाव वाले अशोकनगर जिले में पहुंचे। सिंह के स्वागत में देर रात भी अशोकनगर की सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। अशोकनगर के लोगों का समर्थन पाकर सिंह अभिभूत दिखे। गुरुवार सुबह अशोकनगर में पूर्व सीएम ने प्रेस को संबोधित करते हुए सिंधिया की बगावत से जुड़े प्रकरण पर खुलकर बात की। 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, "सिंधिया जी को सब्र करना चाहिए था। चुनाव में हार-जीत चुनाव में होती रहती है। लेकिन हार के बाद जीत भी होती है। मुझसे उनकी बातचीत होती रहती थी। मैं समझाता भी था कि आप उसमे हताश मत होइए। राजनीति में अवसर आते हैं। ऊपर-नीचे होता है, लेकिन अपनी बात पर कायम रहिए। खुद उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। लेकिन ये न उनके लिए, न उनके परिवार के लिए अच्छा संकेत है।" सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि सिंधिया फिर से कांग्रेस में वापस आना चाहेंगे तो वे विरोध करेंगे।

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सिंह ने आगे कहा, "हमें ज्योतिरादित्य सिंधिया से बड़ी उम्मीदें थीं। और वे काफी मेहनत भी करते हैं। पर हमें ये उम्मीद नहीं थी कि वे धोखा देकर चले जायेंगे। क्या कारण हुआ? जो बाजार में खबरें आती हैं वो ये की बड़ा सौदा हुआ। ये जब हो रहा था, उसके पहले ही मैंने कह दिया था कि 25-50 करोड़ के ऑफर आ रहे हैं। लेकिन सिंधिया जी अपने लोगों को लेकर चले जायेंगे, ये उम्मीद नहीं थी। हो सकता है उनकी नाराजगी इसलिए हो क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। लेकिन मुख्यमंत्री किसी भी संसदीय प्रणाली में बहुमत से बनता है। 114 में से केवल 17 लोग उनके साथ गए। 5 और बाद में जुड़ गए। तो जो स्पष्ट बहुमत कमलनाथ जी के पास था, उसे कैसे नजरअंदाज कर देते।"

सिंह ने बताया कि, "जो भी सिंधिया के काम थे कमलनाथ जी ने किए। सिंधिया स्कूल की पूरी जमीन को एक रुपये में दान दी। जो पिछली सरकारें नहीं कर पायीं थी। ग्वालियर में उनके जमीनों के कई प्रकरण थे कमलनाथ जी ने संवेदनशीलता से उनका निराकरण किया। एक जगह उन्होंने(ज्योतिरादित्य सिंधिया) बयान दिया था कि अतिथि शिक्षकों की अगर कार्यवाई नहीं हुई तो सड़क पर आ जाएंगे। साथ में यह भी कहा था शिवराज सिंह चौहान के हाथ खून से रंगे हुए हैं मंदसौर में पुलिस फायरिंग के आधार पर। और उनके खून के धब्बे धुल नहीं पाएंगे। कांग्रेस छोड़ने के एक हफ्ते पहले उन्होंने करेरा में कर्जमाफी के प्रमाण पत्र बांटे। सरकार की प्रशंसा की। फिर क्यों छोड़कर चले गए। और क्या मिला? एक विभाग जिसके पास न एयरपोर्ट है, न हवाई जहाज है।"

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पूर्व सीएम ने आगे कहा कि, "हम तो हमेशा उनको महाराज कह कर संबोधित करते थे। भारतीय जनता पार्टी ने उनको महाराज से भाईसाहब बना दिया। जो मान सम्मान कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप उन्हें देती थी, वो तो वहां कभी मिल ही नहीं सकता। सोनिया जी, राहुल जी और प्रियंका जी से बिना अपॉइंटमेंट के वो मुलाकात कर सकते थे। उनके घर जा सकते थे। जो अधिकार बड़े-बड़े नेताओं को नहीं था। हम को भी नहीं था। फिर नाराजगी किस बात की थी? अगर कोई योजनाओं के प्रति नाराजगी थी, तो उसका उल्लेख करें। आज तक वो नहीं बता पाए कि नाराजगी किस बात की थी, क्यों गए?"