जान गंवाने वाली मांओं के प्रति सायरन बजवाने वालों को नहीं है पीड़ा, कांग्रेस नेता प्रवीण पाठक का शिवराज सरकार पर हमला
मंगलवार को एक तरफ ग्वालियर में हुए सड़क हादसे में बारह महिलाओं सहित ऑटो चालक की मृत्यु हो गई, राज्य सरकार ने आनन फानन में मुआवजे का ऐलान कर अपना सायरन अभियान शुरू कर दिया
भोपाल। मंगलवार को ग्वालियर में हुए सड़क हादसे के बाद अपना सायरन अभियान जारी रखने वाले शिवराज सरकार के रवैए पर कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने हमला बोला है। ग्वालियर दक्षिण के विधायक प्रवीण पाठक ने कहा है कि शिवराज सरकार को हादसे में अपनी जान गंवाने वालीं माओं के प्रति कोई संवेदना नहीं है। प्रवीण पाठक ने सरकार की मानवीयता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि मरने वाली मांओं के प्रति सायरन बजवाने वालों के मन में कोई पीड़ा नहीं है।
#धिक्कार_है_ऐसी_नौटंकी_करने_पर_
— Praveen Pathak (@PRAVEENPATHAK13) March 23, 2021
इनको कोरोना के नाम पर नौटंकी करनी है।सायरन बजवाने है।
सत्ता की लालची सरकार और उनके गुलामो की तरह मानवीय संवेदना भूलकर काम कर रही सरकारी मशीनरी को 13 असमय मौतों पर भी शर्म न आये तो समझ लीजिए कि इनकी रीढ़ की हड्डी अब सूख चुकी है।
शर्म कीजिये..। pic.twitter.com/GimlOPyOIF
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन्हें (शिवराज सरकार) किसी की मां के जाने, किसी की पत्नी खोने और किसी की बहन के असमय काल के गाल में समाने का कोई रंज और कोई पीड़ा नहीं है। इन्हें कोरोना के नाम पर बस सायरन बजवाने की नौटंकी करनी है। प्रवीण पाठक ने कहा कि सत्ता की लालची सरकार और मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखकर उनके गुलामों की तरह काम कर रही सरकारी मशीनरी को 13 असमय मौतों पर भी शर्म न आए तो समझ लीजिए कि इनकी रीढ़ की हड्डी अब सूख चुकी है।
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ग्वालियर में मंगलवार को एक बस और ऑटो में हुई भीषण टक्कर के कारण आंगनबाड़ी में खाना बनाकर लौट रहीं 12 महिलाओं सहित ऑटो चालक की दर्दनाक मृत्यु हो गई। हादसे के बाद राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को चार चार लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान तो कर दिया। लेकिन मुआवजे का ऐलान करते ही सरकार ने आनन फानन में अपना सायरन अभियान शुरू रखा। राज्य सरकार की मानवीय संवेदना पर कांग्रेस नेता ने बेवजह ही सवाल नहीं उठाए हैं।
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ठीक एक महीने पहले सीधी में एक बस हादसा हुआ था। बस हादसे में 50 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हुई। मुख्यमंत्री ने उस दिन अपनी कैबिनेट की बैठक भी रद्द कर दी थी। लेकिन सायरन अभियान तो फिर भी एक महज़ अभियान था जो किसी दौर दिन के लिए भी रखा जा सकता है। लेकिन मुख्यमंत्री और उनके सरकार महकमे ने दुखद और दर्दनाक मौतों की जगह मानवीयता को ताक पर रख कर अपने मास्क अभियान को तरजीह देना ज़्यादा मुनासिब समझा।