गृह मंत्री ने कांग्रेस पर आरोप तो लगाए लेकिन विधानसभा सत्र के बारे में कुछ नहीं कहा

पत्रकारों ने नरोत्तम मिश्रा से सरकार के कामकाज और फैसलों पर किए सवाल, लेकिन गृह मंत्री सवालों को टालकर कांग्रेस को कोसने में ही लगे रहे

Updated: Dec 27, 2020, 08:44 PM IST

Photo Courtesy : Twitter
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भोपाल। शिवराज सरकार में नंबर 2 के नेता और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस पर हमले तो किए लेकिन उन सवालों के जवाब नहीं दिए, जिनका सबको इंतज़ार है। ज़रूरी सवालों को टाल कर कांग्रेस पर हमला बोलने वाला अंदाज़ नरोत्तम मिश्रा की मीडिया से बातचीत में छाया रहा। विधासनभा के सत्र को चलाने का मसला हो या विधानसभा के आसपास के इलाके में ट्रैक्टर ट्रॉली पर लगाई गई पाबंदी का सवाल, गृह मंत्री ने किसी भी सवाल का साफ जवाब नहीं दिया। 

एक पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि कांग्रेस ये पूछा रही है कि शीतकालीन सत्र से पहले विधानसभा परिसर के पांच किलोमीटर के दायरे के भीतर सरकार ने जो ट्रैक्टर ट्रॉली पर प्रतिबन्ध लगाया है वो किस नियम के आधार पर लगाया है ? तो नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उनको हम नियम कानून की प्रतियां दे देंगे। गृह मंत्री ने इतना बोलने के बाद कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया।उन्होंने कहा कि अगर 15 महीनों में ऐसा कुछ किया होता तो चार्टर में चलने वालों को ट्रैक्टर पर नहीं आना पड़ता।

इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने कमल नाथ सरकार के दौरान की गई किसानों की कर्ज़माफी पर बोलने लगे। जबकि सवाल पूछा गया था ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर पाबंदी लगाने के बारे में।  बहरहाल किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के मसले पर भी गृह मंत्री ने कह दिया कि कांग्रेस ने एक भी किसान का कर्ज़ा माफ नहीं किया और अब वो किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर ट्रॉली निकालना चाहती है। ये कहते वक्त गृह मंत्री को शायद यह बात याद ही नहीं रही कि उनकी सरकार खुद विधानसभा में लिखकर मान चुकी है कि कमलनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल में लगभग 27 लाख किसानों का कर्ज़ माफ किया था।    

ट्रैक्टर ट्रॉलियों के प्रतिबन्ध के बाद पत्रकार ने पूछा कि कांग्रेस आरोप लगा रही है कि सरकार कोरोना का हवाला देकर विधानसभा सत्र को टालना चाहती है। इस सवाल पर मंत्री महोदय को यह बताना चाहिए था कि आखिर विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आयोजन होगा या नहीं और अगर होगा तो कैसे और कितने दिनों के लिए? अगर वो ये बता देते तो कांग्रेस के आरोप का जवाब अपने आप ही मिल जाता। लेकिन गृह मंत्री ने एक बार फिर वही किया, मुद्दा,सवाल सब भटका दिया।

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नरोत्तम मिश्रा ने सवाल का सीधा जवाब देने की जगह फिर से कांग्रेस पर हमला शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि सज्जन सिंह वर्मा ने तो अपने कार्यकाल में विधानसभा सत्र को एक दिन में ही खत्म कर दिया था। अचंभा तो यह है कि जो शीशे घर में रहते हैं वो पत्थर फेंक रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि जिन्होंने जुर्म किया वो न्याय की बात कर रहे हैं। ऐसे में अगर मिश्रा के आरोप को ही सही मानें तो क्या शिवराज सरकार का एक दिन का सत्र बुलाना भी जुर्म होगा? दरअसल, गृह मंत्री कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा के कल दिए उस बयान से भड़के हुए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और मैं मंत्री हुआ करता था, तो विधानसभा का सत्र ढाई-ढाई महीने तक चला है। 

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दरअसल 28 दिसंबर से मध्यप्रदेश विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू होना है। राज्य सरकार ने भी अब तक कोई सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है। विधानसभा में 50 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव भी हो गए हैं। इन सबके बीच कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि सरकार कोरोना का हवाला देकर ज़रूरी सवालों से भागने के लिए विधानसभा सत्र के आयोजन से भागना चाहती है।

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने भी शिवराज सिंह चौहान का एक पुराना वीडियो साझा किया है। जिसमें शिवराज यह कहते नज़र आ रहे हैं कि ये कोरोना वोरोना कुछ नहीं है। केके मिश्रा ने कहा कि शनिवार को जारी हुई हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक कोरोना का रिकवरी रेट 95.78 फीसदी है। केके मिश्रा ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है बिना वोटिंग किसान बिल पास कराना हो तो कोरोना नहीं, लेकिन सभा विवाह उद्घाटन हो तो कोरोना। लोकसभा,विधानसभा सत्र व निगम चुनाव टालना हो तो कोरोना?