CM हेल्पलाइन पर शिकायत की तो तहसीलदार ने धमकाया, दहशत में किसान परिवार

सीएम हेल्पलाइन पर फोन करने पर किसान को निराकरण की जगह मिली धमकी। आंकड़ों में मध्य प्रदेश की सीएम हेल्पलाइन सेवा फिसड्डी साबित हुई।

Updated: Aug 28, 2023, 03:15 PM IST

Image courtesy-  MPTAk
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रायसेन। मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज ने सीएम हेल्पलाइन योजना को लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए शुरू किया था लेकिन अब समस्या का समाधान होने की जगह शिकायतकर्ता को धमकी मिलने लगीं हैं। अधिकारी अपने पद का धौंस जमाकर शिकायत वापस लेने को कहते हैं। ऐसा ही एक मामला रायसेन जिले की देवरी तहसील से सामने आया है। यहां एक महिला को तहसीलदार ने फोन कर इसलिए धमकाया क्योंकि उसके पति ने सीएम हेल्पलाइन पर खसरा में सुधार करने के लिये शिकायत दर्ज कराई थी। धमकी सुनने के बाद महिला इतनी ज्यादा घबरा गई कि उसकी तबीयत खराब हो गयी।


जानकारी के अनुसार रायसेन जिले की देवरी तहसील के एक किसान ने खसरा नम्बर में सुधार के लिए सीएम हेल्पलाइन पर फोन कर शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद देवरी तहसील के तहसीलदार दिनेश बरगले ने किसान को फोन किया तो फोन किसान की पत्नी ने उठाया दिनेश ने महिला का लिहाज न करते हुए उनसे अभद्र भाषा को प्रयोग करते हुए कहा कि "आप लोग किसी की भी शिकायत कर दोगे क्या? रूको मैं तुम्हारें घर पुलिस भेजता हूं। और अभी थाने में मामला दर्ज कराता हूं। तब तुम लोगों की अकल ठिकाने आएगी।" तहसीलदार की बात सुनकर महिला घबरा गई और उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। किसान के बेटे ने अपनी मां की तबीयत बिगड़ते देख उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। 
 
इसके बाद महिला ने सारी बात अपने बेटे और पति को बताई। किसान अपने बेटे के साथ इसकी शिकायत करने कलेक्टर के पास पहुंचा। वहां उन्होंने पूरी घटना की जानकारी कलेक्टर को दी। और जिन नंबरों से फोन आए थे उसकी जानकारी भी कलेक्टर को दी। किसान राजेंद्र सिंह करहैया गांव के निवासी हैं उनकी पत्नी सुनीला बाई को तहसीलदार द्वारा फोन पर धमकाने के मामले को लेकर अब समाज के लोग भी उनके साथ आ गए हैं। सोमवार को रघुवंशी समाज के लोगों ने महिला को धमकाने के विरोध में रैली निकाली और थाने पहुंचकर देवरी तहसीलदार पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। 


वहीं आंकड़ो की बात करें तो मध्य प्रदेश सरकार की सीएम हेल्पलाइन सेवा कई जिलों में फिसड्डी साबित हुई है। शिकायतें दर्ज होने के बाद भी महिनों तक उनका निराकरण नहीं किया जाता है। मध्य प्रदेश के 53 जिलों में से केवल 12 जिले ही निराकरण में ए ग्रेड में शामिल हैं। बाकी 41 जिले इस मामले में बी ग्रेड में आते हैं। ए ग्रेड मतलब ऐसे जिले जहां शिकायत दर्ज होने पर उनका निराकरण हुआ है। और बी ग्रेड मतलब ऐसे जिले जहां शिकायत दर्ज हुईं हैं लेकिन उनका निराकरण नहीं हुआ।